घर परिवार समाज में सभी के साथ प्रेम, प्रीति और विनय का भाव रखें: आदित्य सागर जी

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व्यक्ति के पास धन संपत्ति ना हो लेकिन व्यक्ति के व्यवहार में विनम्रता हो तो उसे हर कोई पसंद करता है और उससे जुड़ना चाहता है। जैसा व्यवहार आप दूसरों के साथ करेंगे वैसा ही व्यवहार दूसरे आपके साथ करेंगे। आपके व्यवहार में विनम्रता और प्रीति होनी चाहिए प्रीति से इमेज बनती है। ये उद्गार श्रुत संवेगी मुनि एवं मोटिवेशनल स्पीकर आदित्य सागर जी महाराज ने दिगंबर जैन आदिनाथ जिनालय छत्रपति नगर में आपका व्यवहार कैसा हो? विषय पर धर्म सभा को संबोधित करते हुए व्यक्त किए।
मुनि श्री ने कहा कि घर, परिवार ,समाज में सभी के साथ प्रेम प्रीति का व्यवहार करें, किसी की निंदा करने के बजाय उसके गुणो की प्रशंसा करें । आपके व्यवहार में कर्तत्व भाव और अहम का प्रदर्शन नहीं
हो औरआपके बोलचाल की शब्दावली मैं भी माधुर्य और विनम्रता का भाव होना चाहिए। आपके व्यवहार और शब्दावली से ही आपके कुल का ज्ञान होता है। व्यक्ति के जीवन और व्यवहार में विनम्रता, निरभिमानता, सरलता, आतमियता, और धार्मिकता होने पर व्यक्ति महान बनता है।
प्रारंभ में सोनाली बागड़िया ने मंगलाचरण किया, एवं दीप प्रज्वलन एवं मुनि श्री के पाद प्रक्षालन श्री राजेंद्र सोगानी ने किये। मुनि संघ को डॉ जैनेन्द्र जैन भूपेंद्र जैन, वीरेद्र जैन, सुरेश पड़ोसी, महेंद्र जैन निलेश जैन, एवं हीरालाल शाह आदि ने श्रीफल समर्पित कर आशीर्वाद प्राप्त किया
धर्म सभा का संचालन राजेश जैन दद्दू ने किया।

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