गर्भ कल्याणक में श्रद्धालु हुए भाव- विभोर तीर्थंकर की माता की हुई गोद भराई

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व्यक्ति के जीवन की संपूर्ण शुभ और अशुभवृत्ति उसके संस्कारों के अधीन है : मुनि श्री सुप्रभ सागर जी महाराज
ललितपुर। ग्राम गुढ़ा विकासखंड महरौनी में आचार्य श्री विशुद्ध सागर जी महाराज के सुयोग्य शिष्य मुनि श्री सुप्रभसागर जी महाराज , मुनि श्री प्रणतसागर जी, आर्यिका श्री विजिज्ञासा मती माता जी ससंघ
के सान्निध्य में  श्री मज्जिनेन्द्र पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव   में रविवारवार को गर्भ कल्याणक उत्तरार्द्ध की क्रियाएं  विधि विधान के साथ की गईं। विधि विधान  प्रतिष्ठाचार्य डॉ विमल जैन जयपुर के प्रतिष्ठाचार्योत्व में सम्पन्न हुआ।
  सुबह से ही पात्र शुद्धि, अभिषेक, शांतिधारा, नित्यमह पूजन व गर्भ कल्याणक पूजन किया गया।
इस अवसर पर मुनि श्री सुप्रभ सागर महाराज ने अपने प्रवचन में कहा किशिशु को गर्भ में ही शिक्षा देना गर्भाधान या फिर गर्भ संस्कार कहलाता है। अगर गर्भावस्था के दौरान मां सकारात्मक रहेगी, तो बच्चे की सोच व व्यवहार पर उसका असर पड़ेगा। धार्मिक ही नहीं वैज्ञानिक दृष्टि से भी इसका महत्व है। इस बात से हर कोई सहमत होगा कि गर्भावस्था के दौरान महिला जो खाती है, उसका असर शिशु पर जरूर होता है। उसी प्रकार महिला क्या सोचती है, क्या बोलती है व क्या पढ़ती है, उसका असर भी गर्भ में पल रहे शिशु पर पड़ता है।
इस अवसर पर गर्भ कल्याणक पर प्रवचन करते हुए मुनि श्री सुप्रभ सागर जी महाराज ने कहा कि   बहिरात्मा से अन्तरात्मा बनने का जो पुरुषार्थ करता है वही एक दिन परमात्मा बनता है।
आज की संतान पाश्चात्य सभ्यता के प्रभाव से बिगड़ती जा रही है,जो लड़ लड़कर माँ-पिता को घर से बाहर कर देते लेकिन संतान तो वही है जो धर्म की संतति को आगे बढ़ाती है। परिवार नियोजन की आवश्यकता नहीं है अपितु अपनी वासनाओं को नियोजित करने की आवश्यकता है।  आज गर्भ में ही गर्भावस्थ शिशु को मार दिया जाता है, माताओं! मत बनो सर्पिणी। गर्भपात महापाप है। तीर्थंकर बालक की माता की सेवा अष्ट कुमारी एवं छप्पन कुमारी देवियां करती हैं। मां की सेवा करके यह प्रदर्शित किया जाता है कि प्रत्येक संतान को अपने माता-पिता की सेवा करना चाहिए।
दोपहर में  सीमंतनी क्रिया की गई जिसमें तीर्थंकर की माता की गोद भराई क्रिया पूर्ण की गई।  जिसमें सैकड़ों महिलाओं ने माता की गोद भराई कर धर्म लाभ लिया।जिसे देखकर श्रद्धालु भाव विभोर हो उठे।भगवान के  माता -पिता  बनने का सौभाग्य  सेठ श्याम लाल जैन-विमला देवी को  को प्राप्त हुआ है।
रात्रि में मंच भगवान के माता-पिता का दरबार, 16 स्वप्नों के फल का कथन, अष्ट देवियों व छप्पन कुमारियों द्वारा सेवा भेंट ,समर्पण, महाराजा  का राज दरबार, राज्य व्यवस्था के कार्यक्रमों का आयोजन किया गया।
आयोजन को  सफल बनाने में महोत्सव की  आयोजन समिति व  उप समिति  उल्लेखनीय योगदान रहा।
इस मौके पर धर्मेश जैन , प्रदीप संघी टीकमगढ़,डॉ भरत जैन, डॉ सुनील संचय, संजीव शास्त्री, अखिलेश शास्त्री, अनिल शास्त्री, पंडित जयकुमार दुर्ग, अरुण जैन, अभय जैन, महेश जैन, सोमचन्द्र जैन, पंडित संतोष जैन, डॉ निर्मल जैन, सुनील शास्त्री, डॉ देवेंद्र जैन, राजेश जैन साढूमल,  जितेंद्र जैन, प्रदीप जैन, प्रकाश, दीपेश जैन आदि बड़ी संख्या में प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।
आयोजन में ललितपुर, महरौनी , मड़ावरा, सोजना, बड़ागांव, टीकमगढ़, घुवारा , नेकौरा, नवागढ़, मैनवार, शाहगढ़ आदि स्थानों से बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे।
इस मौके पर गुरुआज्ञा, आचार्य निमंत्रण, विद्वानों , अतिथियों का सम्मान आयोजन समिति द्वारा किया गया।

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