परम पूजनीय जिनधर्म प्रभाविका गणनी आर्यिका105 श्री सृष्टि भूषण माताजी का महानगर इंदौर में भव्य मंगल प्रवेश धर्म समाज प्रचारक राजेश जैन दद्दू ने कहा कि जैनसमाज के दिगम्बर आचार्य उपाध्याय एवं सर्व साधुओं में मुनिराज, गणनी आर्यिकाओं आर्यिका माताजी,क्षुल्लको, क्षुल्लिकाओं के 450 से अधिक साधुओं के जैन कुंभ में प्रतिदिन चारों दिशाओं से प्रतिदिन 50 से अधिक साधुओं के प्रवेश होकर वर्तमान में 300 से अधिक साधु इंदौर के 150 से अधिक मंदिरों कालोनी में विराजित होकर धर्म प्रभावना कर रहे हैं इसी क्रम में आचार्य श्री शांति सागर जी छाणी परम्परा में समाधिस्थ आचार्य श्री सुमतिसागर से दीक्षित 31 वर्षों से संयम साधना रत 62 वर्षीय मध्यप्रदेश मुंगावली गौरव सम्मेद शिखर जी त्यागी आहार भोजन शाला प्रणीति परम पूज्य गणनी आर्यिका श्री सृष्टि भूषण माताजी का संघ सहित महानगर इंदौर के पंचबालयति मंदिर में 23 अप्रैल को भव्य मंगल प्रवेश हुआ। समाजजनो ने भव्य मंगल अगवानी की।सृष्टि का अलंकरण सृष्टि का करती दुखहरण साधना और मंगल भावना की संपूर्णता का नाम है 61 वर्षीय पूज्य आर्यिका 105 श्री सृष्टि भूषण माताजी जी, पूज्य माता जी ने भारतवर्ष के मध्य प्रदेश प्रांत की रत्नमय मुंगावली की धरा पर 23 मार्च सन 1964 चैत्र शुक्ला नवमी को श्रद्धेय पिताश्री कपूर चंद जी एवं माता श्री पदमा देवी की बगिया में जन्म लिया नामकरण हुआ। सुलोचना यह परिवार की तीसरी संतान थी। इसे विधि का विधान कहे की इनसे पूर्व जन्मे दोनों ही पुत्र अल्प समय में ही इस मनुष्य पर्याय से पलायन कर गए। दोनों संतानों के चले जाने के बाद आपका जन्म हुआ।
रोचक बात
आपके जन्म से पहले ही आपकी मातृश्री को सपनों के माध्यम से आदेशित किया गया यह संतान को अपने पास ना रख कर कहीं और परवरिश कराई जाए अन्यथा संतान भी काल के गाल में विलीन हो जाएगी। बडा ही व्याकुल क्षण थे इतना सुन माँ ने अपने हृदय और भावनाओं पर पत्थर रखा आपको जन्म के कुछ क्षणों बाद आपको ताई श्रीमतीt रामप्यारी बाई को सौंप दिया। जो आपके गांव की एक वरिष्ठ महिला थी। आदि सृष्टि मंगलम केभक्त राजेश पंचोलिया ने बताया कि जब सुलोचना की 4 वर्ष की थी तो ताई जी आर्यिका श्री सुपार्श्वमति माताजी के दर्शन के लिए उन्हें लेकर गई ,उन्हें देखकर माताजी स्वयं ही बोल पड़ी अरे इस बालिका को तो संन्यास लेने से कोई नहीं रोक सकता तब ताई जी हैरानी से बोली पर ऐसा क्यों माताजी ने कहा कि जिस दिन यह बच्ची जैन संतों के दर्शन कर लेगी उसी दिन गृह त्याग की भावना बन जाएगी जो रोकने से नहीं रुकेगी ।माताजी ने छोटी सी सुलोचना को छोटे-छोटे कमंडल और मयूर पीछी भी आशीर्वाद में दिए । धार्मिक पुस्तकों के स्वाध्याय से परिजनों के लाख यत्न करने पर भी सुलोचना को मोक्ष मार्ग चढ़ने बढ़ने पर कोई रोक नहीं सका।सिद्ध क्षेत्र श्री सम्मेद शिखर जी मेंआर्यिका दीक्षा26 मार्च 1994 चैत्र शुक्ला 14 चतुर्दशी को आचार्य श्री सुमति सागर जी महाराज एवम विद्या भूषण आचार्य श्री सम्मति सागर जी से बाल ब्रह्मचारिणी सुलोचना दीदी ने 30 वर्ष की उम्र में सीधे आर्यिका दीक्षा ग्रहण की आचार्य श्री ने नाम प्रदान किया आर्यिका श्री सृष्टि भूषण माताजी। आप विशिष्ट प्रज्ञा समन्वित एवं रत्यत्रय विभूषित है।माताजी द्वारा समाज सेवा धार्मिक क्षेत्र में देश में अनेक कीर्तिमान बने हैं। आपने अपने 31 वर्षीय संयमी जीवन में करीब 25000 किलोमीटर की पदयात्रा पूरी की। जिसमें दिल्ली ,उत्तर प्रदेश ,हरियाणा ,उत्तराखंड ,झारखंड, पश्चिम बंगाल, मध्यप्रदेश, उड़ीसा ,गुजरात आदि के प्रांतों के नगर एवं महानगर सम्मिलित हैं।आपके द्वारा महानगर दिल्ली समेत सिद्ध क्षेत्र श्री सम्मेद शिखरजी झारखंड, सिद्ध क्षेत्र सोनागिर जी मध्य प्रदेश, अतिशय क्षेत्र श्री महावीर जी राजस्थान मैं भक्तों के सहयोग से श्री सृष्टि मंगलम फाउंडेशन ऐसी संस्थाओं की स्थापना करवाई। जिसमे त्यागी महाव्रती अणुव्रत धारी के आहार की व्यवस्था की गई । भविष्य में भी की जाती रहेंगी।
मानव रत्न से अलंकृत
प्रख्यात मानव सेविका एवम जिनधर्म प्रभाविका आर्यिका 105 श्री सृष्टि भूषण माताजी को मानव कल्याणार्थ किए गए अति विशिष्ट कार्यों के लिए International News And Views Corporation द्वारा मानव रत्न अलंकरण से29सितंबर 2019 को सम्मानित किया गया है ।
चातुर्मास आपने देश के अनेक राज्यों में सन 1994 से वर्ष 2024तक 31वर्षायोग किए।
उपाधियां
आपको इन महान कार्यों के लिए – हरियाणा उद्धारक – जिनधर्म प्रभाविका। ।आचार्य अतिवीर जी महाराज जी द्वारा सन 2015 गणनी पद के संस्कार किए है। शाम को गुरुवंदना कार्यक्रम में भी काफी श्रद्धालु उपस्थित होते है राजेश पंचोलिया इंदौर