हमारे यहाँ पुराने ग्रंथों ,पुराणों के उदाहरण हमेशा उपदेशों में दिया जाते हैं .खास तौर पर रामायण ,महाभारत आदि के अलावा कबीर दास ,रसखान ,मीरा आदि की चौपाइयां और शायरों की शायरियां जैसे ग़ालिब ,निज़ा फादळी के उद्धत प्रयोग किये जाते हैं तभी उपदेश प्रभावकारी बनते हैं ,हमारे यहाँ अहिंसा के पुजारी जैसे राम कृष्ण ,महावीर ,बुद्ध से लेकर गुरु नानक के नाम लिए जाते हैं और वर्तमान में गाँधी जी सर्वमान्य नेता जो सत्य अहिंसा के पुजारी माने जाते हैं .जिनका उपयोग ताश के त्रिपेंन पत्ते जैसे उपयोग किया जाता हैं .ईमानदारी ,सत्य निष्ठां ,और अहिंसा के नाम पर उनकी मिशाल दी जाती हैं .गाँधी जी राजनीति के क्षेत्र में बहुउपयोगी जीव हैं .उनके बिना राजनीतिज्ञ का पेट भरता नहीं और भोजन होता नहीं .हम लोग उनकी बात करते हैं पर उनकी बात नहीं मानते !
वर्तमान काल में हमारे प्रधान मंत्री जी जो सरदार वल्लभभाई पटेल जी बहुत प्रशंसक हैं और उनके पिच्छलग्गू हैं जिस कारण उनके द्वारा उनकी मूर्ति गुजरात में बनवायी और उनके गुणगान बहुत करते हैं पर उनके आदर्शों पर नहीं चलते .
“बोलने की मर्यादा मत छोड़ना ,गालियां देना कायरों का काम हैं “,–सरदार वल्लभभाई पटेल
उक्त कथन का अवलोकन करने का कष्ट करेंगे तो पाएंगे की हमारे प्रधान मंत्री ,उनके मंत्री और पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ सभी पार्टी नेताओं की यही स्थिति हैं ,वर्तमान में और खास तौर पर चुनाव के समय जितनी अधिक नीचता की जाती हैं वह उच्चतम पराकाष्ठा पर रहती हैं .क्या हमारे नेता और जनता इन वाक्यों को अपने जीवन में उतारेंगे .जितना अधिक उपदेश उतने अधिक उससे विपरीत चलते हैं .
इससे यह समझ में आता हैं की इस देश में इतिहास का कोई स्थान नहीं हैं और न धार्मिक और सामाजिक क्षेत्रों में कोई भी इन महापुरुषों का नाम न ले तो उत्तम ,कारण जिस रास्ते पर चलना नहीं हैं उसकी शिक्षा की क्या जरुरत हैं .हर क्षेत्र में हम बहुत आगे हैं पर बात मानने में पीछे हैं .
मोदी जी ने लिखा गांधी जयंती के विशेष अवसर पर मैं महात्मा गांधी को नमन करता हूं, उनकी कालजयी शिक्षाएं हमारे मार्ग को रोशन करती रहती हैं। महात्मा गांधी का प्रभाव वैश्विक है, जो पूरी मानव जाति को एकता और करुणा की भावना को आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित करता है। हम हमेशा उनके सपनों को पूरा करने की दिशा में काम करते रहें। उनके विचार हर युवा को उस बदलाव का वाहक बनने में सक्षम बनाएं जिसका उन्होंने सपना देखा था, जिससे हर जगह एकता और सद्भाव को बढ़ावा मिले।
इसके साथ ही पीएम मोदी ने पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की जयंती पर भी उन्हें याद किया। पीएम ने उनकी सादगी,प्रति समर्पण और जय जवान, जय किसान का प्रतिष्ठित आह्वान आज भी पीढ़ियों को प्रेरित करता है। भारत की प्रगति के प्रति उनकी अटूट प्रतिबद्धता और चुनौतीपूर्ण समय में उनका नेतृत्व अनुकरणीय है। हम सदैव सशक्त भारत के उनके दृष्टिकोण को साकार करने के लिए कार्य करते रहें।
मोदी जी कितनी सादगी से रहते हैं !दिन में तीन चार बार तक अपनी सादगी दिखाने परिधान पहनते हैं. शास्त्री जी ने एक रेल दुर्घटना के कारण स्तीफा दे दिया था पर मणिपुर ३ माह से अधिक जल रहा हैं
नित्य मौतें और आगजनी का होना पर मोदी जी के कान में जूं नहीं रेंग रही हैं और गाँधी जी ने सत्य अहिंसा का पालन किया पर हमारे प्रधान सेवक हर क्षण झूठ का सहारा लेते हैं .सद्भावना का पूर्ण अभाव
रहता हैं यहाँ तक की राष्ट्रपति महोदय को भी नज़रअंदाज़ करने की आदत हैं .
क्यों इनको ऐतहासिक महापुरुषों की गणना क्यों की जाती हैं .इतिहास अपनी पुनरावृत्ति दुहराता हैं .आगे चल इनको भी कोई स्थान नहीं मिलेगा इतिहास में .वैसे वर्तमान में प्रधान सेवक ,मुख्यमंत्रियों और नेताओं का कोई महत्व नहीं हैं ,कारण मुख में राम बगल में छुरी .
विद्यावाचस्पति डॉक्टर अरविन्द प्रेमचंद जैन संरक्षक शाकाहार परिषद् A2 /104 पेसिफिक ब्लू ,नियर डी मार्ट, होशंगाबाद रोड, भोपाल 462026 मोबाइल ०९४२५००६७५३
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