श्रमण संस्कृति के एक और दैदीप्यमान नक्षत्र का अवसान
गणाचार्य विरागसागर जी महाराज का हुआ समाधिमरण, अपूरणीय क्षति
महान गणाचार्य का महाप्रयाण
आचार्य श्री विशुद्ध सागर जी होंगे पट्टाचार्य
प्रागैतिहासिक क्षेत्र नवागढ़ ने दी भावभीनी विनयांजलि
ललितपुर। दिगम्बर जैन परंपरा के प्रमुख संत गणाचार्य श्री विरागसागरजी महामुनिराज 4 जुलाई 2024 को मध्य रात्रि लगभग 2:30 बजे महाराष्ट्र में समाधि हो गई हैं। जैसे ही यह खबर लगी पूरे देश के श्रद्धालु शोक में डूब गए । अचानक आचार्यश्री के जाने से जैन श्रमण संस्कृति के लिए बहुत बड़ा आघात पहुँचा है। आचार्य श्री की जन्मभूमि पथरिया जिला दमोह है। प्रागैतिहासिक अतिशय क्षेत्र नवागढ़ में पंडित गुलाबचंद पुष्प प्रतिष्ठाचार्य की स्मृति में संचालित श्री नवागढ़ गुरुकुलम एवं नवागढ़ समिति के द्वारा बुंदेलखंड के प्रथम आचार्य श्री विराग सागर महाराज के आकस्मिक समाधिस्थ होने के इस असीम वेदना के क्षणों में उनको श्रद्धांजलि समर्पित की गई।
61 वर्षीय आचार्य श्री विराग सागर जी महाराज का महाराष्ट्र के जालना में पद विहार चल रहा था। उनके अकस्मात समाधि की सूचना से सभी स्तब्ध रह गए। आचार्य श्री के 500 से अधिक शिष्य प्रशिष्य थे। उन्होंने अनेक कृतियों का प्रणयन किया। अनेक बार आचार्यश्री का ललितपुर व जनपद के विभिन्न स्थानों पर प्रवास रहा, उनके सान्निध्य में अनेक प्रभावनामयी आयोजन हुए।
आचार्य श्री को शायद आभास हो गया था इसलिए उन्होंने एक दिन पूर्व ही अपने अंतिम संबोधन में जहाँ पट्टाचार्य का पद आचार्य श्री विशुद्ध सागर जी महाराज को देने की घोषणा की वहीं सभी से क्षमा भी मांगी।
आचार्यश्री की समाधि पर प्रागैतिहासिक अतिशय क्षेत्र नवागढ़ द्वारा भावभीनी विनयांजलि, श्रद्धांजलि दी गई। निर्देशक ब्र. जय कुमार निशान्त भैया, अध्यक्ष एडवोकेट सनत जैन, महामंत्री वीरचन्द्र जैन नेकौरा, प्रचार मंत्री डॉ सुनील संचय, कोषाध्यक्ष आनंदी लाल लुहर्रा , पंडित इंद्रकुमार सिंघई सहित शिक्षक श्रीमती प्रियंका जैन, संजय जैन, विनीत जैन ,सजल जैन , अंकितजैन ने गणाचार्य महाराज के द्वारा किए गए उपकारों का स्मरण करते हुए इसे महान क्षति बताया।
वक्ताओं ने कहा कि अभी फरवरी में ही संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्या सागर जी महाराज की समाधि से हम उभर नहीं पाए थे कि अब एक और सूर्य अस्त हो गया है। इससे बहुत ही बड़ा आघात पहुँचा है।श्रमण संस्कृति के एक और दैदीप्यमान नक्षत्र का जाना हम सभी के लिए बहुत बड़ी क्षति है।बुंदेलखंड में विशेष प्रभावना करने वाले द्विशताथिक दीक्षा प्रदाता गणाचार्य विराग सागर महाराज का उपकार श्रावक कभी नहीं चुका पाएंगे उनके द्वारा जो श्रमण संस्कृति को अवदान एवं वरदान प्राप्त हुआ है वह हमेशा याद रहेगा ।
सभा का संचालन वीर चंद्र नेकोरा ने संपन्न किया ।नवागढ़ गुरुकुलम के बच्चों ने मंगलाचरण करते हुए विराग सागर महाराज के दर्शन के संस्मरण सुनाते हुए उनके प्रति विनयांजलि समर्पित की । नवागढ़ गुरुकुलम, नवागढ़ समिति, पंडित गुलाबचंद स्मृति ट्रस्ट सभी ने सामूहिक रूप से श्रद्धांजलि समर्पित कर अपना विनय भाव निवेदित किया।