(कामां) दसलक्षण महापर्व के समापन पर जैन समाज कामां द्वारा एक दूसरे के गले लगकर व पांव छूकर क्षमा याचना कर क्षमावाणी पर्व मनाया गया। वर्ष पर्यंत जाने अनजाने में की गई गलतियों के लिए एक दूसरे से क्षमा मांगना जैन धर्म का सबसे अभूतपूर्व पर्व है जिससे काफी मात्रा में गिले शिकवे,मनभेद व मनोविकार दूर होते हैं।
जैन समाज के अध्यक्ष अनिल जैन से प्राप्त सूचना के अनुसार इस अवसर पर शान्तिनाथ दिगम्बर जैन दिवान मन्दिर पर एकत्रित होकर मुख्य बाजार होते हुए जुलूस के रूप में कोट ऊपर स्थित आदिनाथ जैन मंदिर पहुँचे जहां धर्म सभा का आयोजन किया गया। धर्म सभा मे संजय सर्राफ ने कहा कि जैन धर्म मे ही क्षमा को महत्व प्रदान किया गया। जो हमारे अभिमान का मर्दन कर क्षमा को धारण करने का उपदेश देता है। इस अवसर पर मनीषा जैन ने भी अपने विचार प्रकट किए। सभा मे धर्म जागृति संस्थान के राष्ट्रीय प्रचार मंत्री संजय जैन बड़जात्या ने कहा कि क्षमा मांगने नही अपितु धारण करने का विषय है।एक कदम आगे बढ़कर क्षमा कर देना वीरों का लक्षण है। उन्होंने कहा कि दसलक्षण पर्व का प्रारंभ क्षमा धर्म से होता है तो वही समापन भी क्षमा के साथ ही हो जाता है। कहां भी गया है कि झुकने वाला बड़े-बड़े तूफानों के बाद भी पुनः खड़ा हो जाता है और झुकने से विनम्रता ही आती है। किसी भी प्रकार के स्वाभिमान का खंडन नहीं होता है उसके विपरीत अकड़न उखाड़ देती है। इस अक्सर पर जैन समाज की वार्षिक आमा बैठक का आयोजन भी हुआ।
भावुक हो उठे मन्दिर प्रांगण में जब एक दूसरे से क्षमा मांग रहे थे तो वातावरण भावुकता से भर गया। इस अवसर पर महिलाओं ने भी आपस मे क्षमा याचना कर जाने अनजाने में हुई गलतियों के लिए क्षमा मांगी।
सोशल मीडिया पर वायरल हुई क्षमा प्रातः से ही सोशल मीडिया पर जमकर क्षमा वाणी के मैसेज वायरल हो रहे हैं लोगों ने नाना प्रकार के मैसेज भेज कर अपने चिर परिचितों से क्षमा याचना की और भूल बस की गई गलतियों की क्षमा मांग कर हृदय को स्वच्छ किया। कहा गया है कि क्षमा मांगने का नहीं अपितु धारण करने का विषय है जैन समाज की अनूठी परंपरा में अन्य धर्म के लोग भी रंगे नजर आए।
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