फागी कस्बे सहित परिक्षेत्र के जिनालयों में दसलक्षण महापर्व के दूसरे रोज उत्तम मार्दव धर्म की पूजा अर्चना हुई हर्षोल्लास पूर्वक सम्पन्न
अहंकार का त्याग करना,मान कषाय का त्याग करना, सभी जीवों के प्रति करुणा वान होना उत्तम मार्दव धर्म कहलाता है
आर्यिका सुरम्य मति माताजी
फागी संवाददाता
फागी कस्बे के पार्श्वनाथ चैताल्य में विराजमान आर्यिका सुरम्यमति माताजी स संघ के पावन सानिध्य में अग्रवाल सेवा सदन में दसलक्षण महापर्व के पावन अवसर पर आज दूसरे दिन उत्तम मार्दव धर्म की पूजा हर्षोल्लास पूर्वक सम्पन्न हुई हुई कार्यक्रम में चातुर्मास समिति के अध्यक्ष मोहनलाल झंडा एवं चातुर्मास समिति के महामंत्री विनोद कुमार मोदी ने शिरकत करते हुए बताया कि कार्यक्रम में सौधर्म इंद्र परिवार के राजाबाबू -चित्रा गोधा,उदित -पूर्णिमा गोधा परिवार नारेडा वालों ने श्री जी की महाशांती धारा करने के बाद उत्तम मार्दव धर्म की पूजा अर्चना कर सुख समृद्धि की कामना की, कार्यक्रम में मंदिर समिति के अध्यक्ष महावीर झंडा एवं महामंत्री कमलेश चौधरी ने बताया कि कार्यक्रम में बोली के माध्यम दूसरी शांति धारा कपूर चंद,पारस कुमार, कमलेश कुमार, राजकुमार, गौरव जैन नला परिवार ने करके धर्म लाभ प्राप्त किया,
चातुर्मास समिति के कार्याध्यक्ष अनिल कठमाना एवं चातुर्मास समिति के कोषाध्यक्ष महावीर मोदी ने बताया कि उक्त कार्यक्रम बाल ब्रह्मचारिणी कनक दीदी के दिशा निर्देश में विभिन्न मंत्रोच्चारणों के द्वारा संगीतकार हर्ष जैन एंड कंपनी मध्य प्रदेश की मधुर लहरियो के बीच सम्पन्न हुआ,इस कार्यक्रम में आज सकल दिगम्बर जैन समाज के सहयोग से आर्यिका सुरम्य मति माताजी स संघ के पावन सानिध्य में सौधर्म इंद्र परिवार जनों द्वारा उत्तम मार्दव धर्म की पूजा अर्चना कर सुख समृद्धि की कामना की जिसमें विधान मंडल पर 11 अर्घ्य अर्पित कर धर्म लाभ प्राप्त किया
इसी कड़ी में सरावगी समाज के अध्यक्ष महावीर अजमेरा ने बताया कि आज दसलक्षण महामंडल विधान पूजा में पीले वस्त्रों में 151 पूज्यार्थियों ने पूजा अर्चना कर सुख समृद्धि की कामना की, कार्यक्रम में आज नव देवता, देव, शास्त्र ,गुरु, मूलनायक भगवान की पूजा बाद, जैन धर्म के सातवें तीर्थंकर सुपार्श्वनाथ भगवान के गर्भ कल्याणक का अर्घ्य चढ़ाकर सुख समृद्धि की कामना की गई तथा सोलह करण जी, पंचमेरु, दस लक्षण विधान में उत्तम मार्दव धर्म, स्वयंभू स्तोत्र, तथा आचार्य सुन्दर सागर जी महाराज, आर्यिका सुरम्य मति माताजी सहित विभिन्न दिगम्बर आचार्यों, आर्यिकाओं तथा विभिन्न तीर्थंकरों की पूजा अर्चना की गई।
कार्यक्रम में आर्यिका श्री ने उत्तम मार्दव धर्म पर श्रृद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि उत्तम मार्दव धर्म की परिभाषा विनम्रता, कोमलता और अहंकार त्याग करना होता है, यह मान (अंहकार)को दबाकर सभी जीवों के प्रति दयालु और करूणावान होकर आत्मज्ञान और आत्म-निग्रह के माध्यम से संसार के बंधनों से मुक्ति पाने का मार्ग है, मार्दव धर्म अहंकार को दूर करता है, जो सभी दुखों और बुराइयों का मूल कारण है, जिससे प्राणी संसार सागर से पार होकर अपना कल्याण कर सकता है, अर्थात जो व्यक्ति अपनी आत्मा को मान (अहंकार) से दूषित नहीं करता उसे ही उत्तम मार्दव धर्म प्राप्त होता है।
राजाबाबू गोधा जैन महासभा मिडिया प्रवक्ता राजस्थान