कैलाशचंद, हनुमान प्रसाद, सीताराम, अशोक कुमार, विनोद कुमार भरत कलवाड़ा परिवार ने बोली के माध्यम से मुख्य कलश स्थापित करने का धर्म लाभ प्राप्त किया
आज जैन धर्मावलम्बी बंधुओ ने मनाया वीर शासन जयंती पर्व
फागी संवाददाता
फागी – 11 जुलाई –
फागी कस्बे के पार्श्वनाथ चैत्याल्य में विराजमान आर्यिका सुरम्यमति माताजी स संघ के पावन सानिध्य में गुरु पूर्णिमा के पर्व पर सांयकाल देर पावन चातुर्मास की 2025 घोषणा हुई कार्यक्रम में चातुर्मास आहार चर्या समिति के सदस्य मितेश जैन लदाना ने बताया कि पावन चातुर्मास 2025 के स्थापना दिवस पर कैलाश चंद्र, हनुमान प्रसाद, सीताराम, अशोक कुमार, विनोद कुमार ,भरत लाल कलवाडा परिवार ने बोली के माध्यम से चातुर्मास का मुख्य कलश श्री पार्श्वनाथ मंगल कलश स्थापित करने पुण्य प्राप्त किया। द्वितीय कलश आदि सागर की बोली प्यार चंद, त्रिलोकचंद, शिखर चंद, मनीष, रितेश पीपलू वाला परिवार ने बोली के माध्यम से ली, तृतीय कलश सोहनलाल, मोहनलाल, सुकुमार झंडा परिवार ने ली, चतुर्थ कलश आचार्य विमल सागर कलश की बोली नेमीचंद, रमेश चंद्र ,पवन कुमार, राजकुमार कागला के छोडी गई, पंचम कलश आचार्य सन्मति सागर कलश की बोली सोहनलाल, महावीर प्रसाद, सुकुमार झंडा परिवार ने लेकर धर्म लाभ प्राप्त किया, आचार्य सुन्दर सागर मंगल कलश की बोली कैलाशचंद ,हनुमान प्रसाद, सीताराम विनोद कुमार कलवाड़ा ने लेकर धर्म लाभ प्राप्त किया, छठा कलश सुरम्य मति माताजी कलश, रामअवतार, अनिल कुमार कठमाणा वाले परिवारों जनों ने लिया, मालपुरा के सूराशाही परिवार ने आर्यिका श्री का पाद प्रक्षालन किया, एवं वस्त्र भेंटकर पुण्यार्जन प्राप्त किया, कार्यक्रम में इनके अलावा एक लक्की ड्रा कलश भी रखा गया जिसमें प्रति कूपन₹1100 की सहयोग राशि में समाज के सभी लोगों को इस पुण्य कलश में अवसर मिल पाएगा।इसी कड़ी जैन महासभा के प्रतिनिधि राजाबाबू गोधा ने बताया कि आर्यिका संघ के पावन सानिध्य में जैन धर्मावलंबियों बन्धुओं ने 11 जुलाई को वीर शासन जयन्ति पर्व मनाया, कार्यक्रम में आर्यिका सुरम्य मति माताजी ने भगवान महावीर के उपदेशों पर विशेष प्रवचन देते हुए बताया कि जैन धर्म के 24 वे तीर्थंकर भगवान महावीर को वैशाख शुक्ला दशमी को केवल ज्ञान प्राप्त हुआ था लेकिन उस समय ज्ञान ग्रहण करने वाला कोई उचित श्रोता या शिष्य पात्र नहीं होने के कारण जैन धर्म के अन्य 23 तीर्थंकरों की भांति उस दिन भगवान महावीर की वाणी नहीं खिरी अर्थात उस दिन भगवान महावीर ने कोई उपदेश नहीं दिया, 65 दिवस पश्चात श्रावण कृष्णा एकम् को राजगिरी में भगवान महावीर का समोवशरण लगा तो उसमें उपदेश को ग्रहण करने वाले उचित पात्र (श्रोता/शिष्य) गौतम गणधर उपस्थित थे। गौतम गणधर को भगवान महावीर ने अपने ज्ञान से पहचान लिया एवं उसी समय भगवान की वाणी खिर गई अर्थात उन्होंने उपदेश देना प्रारंभ कर दिया, इसीलिए यह दिन भगवान महावीर के उपदेशों के महत्व को दर्शाता है। इसी दिन से वीर शासन जयन्ती मनाना शुरु हो गया,जैन धर्मावलंबियों द्वारा हर वर्ष श्रावण कृष्णा प्रतिपदा (एकम्) को यह पर्व पूरे देश में भक्ति भाव से मनाया जाता है।
गोधा ने बताया कि भगवान महावीर के अहिंसा, ब्रह्मचर्य, सत्य, अपरिग्रह, स्यादवाद्, अनेकान्तवाद इत्यादि सिद्धांत आज भी पूरे विश्व के लिए अनुकरणीय है। इस दिन संगोष्ठिया, विशेष प्रवचन इत्यादि के आयोजन किये जाते हैं कार्यक्रम में मंदिर समिति के मंत्री कमलेश चौधरी ने बताया कि उक्त कार्यक्रम पंडित सुरेश (के) शास्त्री के दिशा निर्देश सकल दिगम्बर जैन समाज के सहयोग से हर्षोल्लास पूर्वक आयोजित किया गया।
राजाबाबू गोधा जैन महासभा मिडिया प्रवक्ता राजस्थान