फागी कस्बे के पार्श्वनाथ चैताल्य में विराजमान आर्यिका सुरम्यमति माताजी का हुआ भव्य केशलोचन

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फागी कस्बे के पार्श्वनाथ चैताल्य में विराजमान आर्यिका सुरम्यमति माताजी का हुआ भव्य केशलोचन

दिगम्बर साधुओं के 28 मूल गुणों में केश लोचन एक मूल गुण है, जिससे आत्मा की शुद्धि और कर्मों की निर्जरा होती है

पंडित कैलाश कडीला

फागी संवाददाता
13 अगस्त
फागी कस्बे में आचार्य सुन्दर सागर जी महाराज की सुयोग्य शिष्या आर्यिका सुरम्य मति माताजी स संघ धर्म की भव्य प्रवाहना बढा रही है कार्यक्रम में जैन महासभा के प्रतिनिधि राजाबाबू गोधा ने बताया कि पार्श्वनाथ चैताल्य में आज अभिषेक, शांतिधारा,अष्ट द्रव्यों से पूजा अर्चना के बाद सामूहिक रूप जयकारो के साथ शांतिधारा की गई, कार्यक्रम में चातुर्मास समिति के अध्यक्ष मोहनलाल झंडा एवं फागी पंचायत समिति के पूर्व प्रधान सुकुमार झंडा ने संयुक्त रूप से बताया कि पावन चातुर्मास 2025 में आर्यिका सुरम्य मति माताजी स संघ के पावन सानिध्य में विभिन्न धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं जिसमें प्रतिदिन सांयकाल आनंद यात्रा, महा आरती, भक्तामर दीप अर्चना, सहित अनेक धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं ,युवाओं में धर्म की प्रभावना दिनों दिन बढ़ती जा रही है इसी कड़ी में अग्रवाल समाज के अध्यक्ष महावीर झंडा एवं मंत्री कमलेश चौधरी ने बताया कि आज आर्यिका सुरम्य मति माताजी का संत भवन भव्य केश लोचन हुआ कार्यक्रम में सभी श्रावक श्राविकाओं ने णमोकार के जाप्य करते हुए उक्त दृश्य को देखकर धर्म लाभ प्राप्त किया। कार्यक्रम में चातुर्मास समिति के संरक्षक पंडित कैलाश कडीला ने केश लोचन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि केश लोचन दिगम्बर मुनि, आर्यिका माताजी की एक महत्वपूर्ण चर्या है, जिसमें वे अपने हाथों से बालों को उखाड़ते हैं, यह एक तपस्या है और शरीर से ममत्व दूर करने का एक तरीका है,केश लोचन के माध्यम से साधु -संत अपने कर्मों को क्षय करने का प्रयास करते हैं , और मोक्ष के मार्ग पर आगे बढ़ते हैं। केश लोचन एक कठिन तपस्या है जो साधु संतों को संस्कारिक सुखों से दूर रहने और आत्म नियंत्रण मैं मदद करती है, उन्होंने बताया कि केश लोचन की परंपरा हजारों वर्षों से चली आ रही है, दिगम्बर साधुओं के 28 मूलगुणों में केश लोचन एक मूल गुण है। जिससे आत्मा की शुद्धि होती है और कर्मों की निर्जरा होती है, कार्यक्रम में पंडित संतोष कुमार ने बताया कि प्रत्येक दिगंबर जैन साधु चार महीने में एक बार केश लोचन करता है, यह तप,त्याग और संयम का प्रतीक है, केश लोचन एक तपस्या है, जिसमें साधु और साध्वी अपने हाथों से बालों को उखाड़ते हैं जिससे शरीर का आकर्षण कम होता है, ताकि वे संस्कारिक मोह माया से दूर रह सके, केश लोचन के दिन साधु संत उपवास करते हैं और आत्म साधना में लीन रहते हैंजिससे मोक्ष का मार्ग प्रशस्त होता है।
चातुर्मास समिति के मितेश लदाना ने बताया कि 48 दिवसीय भक्तामर दीप अर्चना में प्यारचंद, त्रिलोकचंद, शिखर चंद्र ,पीपलू वाले परिवार ने सहभागिता निभाते हुए धर्म लाभ प्राप्त किया।

राजाबाबू गोधा जैन महासभा मिडिया प्रवक्ता राजस्थान

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