एटा जिले में शिकोहाबाद रोड स्थित गांव रिजोर में पिछले शुक्रवार को खुदाई के दौरान जैन तीर्थंकर महावीर स्वामी की प्रतिमा प्राप्त हुई।

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इंदौर (ओम पाटोदी)। उत्तरप्रदेश के एटा जिले में शिकोहाबाद रोड स्थित गांव रिजोर में पिछले शुक्रवार को प्राचीन किले के पास ओवरहेड टैंक के निर्माण के लिए खुदाई का काम के दौरान जैन तीर्थंकर भगवान श्री महावीर स्वामी की एक प्राचीन प्रतिमा प्राप्त हुई। प्रथम दृष्टया ही ग्रामीणों ने इसे जैन धर्म से सम्बन्धीत मानकर जैन समाज के लोगों को जानकारी दी, परन्तु बाद में कुछ लोगों ने उसे बुद्ध प्रतिमा कहकर विवाद खड़ा किया। इसकी जांच के लिए रविवार को पुरातत्व विभाग की तीन सदस्यीय टीम रिजोर पहुंची। टीम ने मूर्ति को थाने में सुरक्षित रखवाया दिया। टीम का कहना है कि जांच के बाद तय हो सकेगा कि मूर्ति किसकी है? प्रशासन ने इसकी जानकारी भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण आगरा को दी।

 

उक्त जानकारी देते हुए वर्द्धमानपुर शोध संस्थान के ओम पाटोदी एवं स्वप्निल जैन ने बताया कि सोशल मीडिया एवं प्रिंट मीडिया में प्रकाशित फोटो को देखा जाए तो इसमें कोई  संदेह नहीं है कि वह प्रतिमा जैन तीर्थंकर प्रतिमा दिखाई दे रही है, क्योंकि प्रदर्शित फोटो में कहीं ऐसे संकेत नहीं दिखाई दे रहे हैं जिससे वह प्रतिमा भगवान महावीर स्वामी की न लगे। प्रतिमा विज्ञान कि  सामान्य सी जानकारी रखने वाले व्यक्ति से भी पूछा जाए तो वह उसे भगवान महावीर स्वामी की प्रतिमा ही कहेगा।  बुद्ध प्रतिमा के साथ वस्त्रों का अंकन किया जाता है जबकि यह प्रतिमा साफ तौर पर दिगम्बर प्रतिमा ही दिखाई दे रही है। इसमें किसी भी तरह के वस्त्राभूषण  का अंकन नहीं किया हुआ है।  अतः स्थानीय जैन समाज के लोगों ने प्रशासन से मांग की है कि शिघ्रातिशिघ्र मूर्ति दिगम्बर जैन समाज को सौंप दी जाएं ताकि भगवान की पुजा अर्चना की जा सके।

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