यह एक ऐसी बीमारी है जिसमें शरीर के अंगों और ऊतकों में एमाइलॉयड नामक असामान्य प्रोटीन बनने लगता है, जिससे उनका कामकाज प्रभावित होता है। अमाइलॉइडोसिस एक दुर्लभ बीमारी है। यह बीमारी तब होती है, जब किसी इंसान के अंगों में अमाइलॉइड नामक प्रोटीन बनने लगता है। यह शरीर के अंगों को ठीक से काम नहीं करने देता है। इसका सबसे ज्यादा असर हार्ट, किडनी, लीवर, प्लीहा नर्वस सिस्टम और पाचन तंत्र पर पड़ता है। इस प्रोटीन का लेवल बढ़ने से हार्ट फिलियर, किडनी फेलियर और लीवर फेलियर होने का खतरा बढ़ जाता है।
लक्षण
इस बीमारी को लेकर चिंता की बात यह है कि इसके कोई विशिष्ट लक्षण नहीं हैं। यह भी संभव है कि बीमारी के बाद आपको लक्षण महसूस ही न हों। चूंकि यह विभिन्न अंगों को प्रभावित करने वाली बीमारी है इसलिए जो अंग प्रभावित हुआ है, उसके आधार पर लक्षण भिन्न हो सकते हैं।
- आंखों के आसपास बैंगनी धब्बे घेरे या धब्बे होना
- जीभ का खुरदुरा होना और रंग बदलना
- गंभीर थकान और कमजोरी
- सांस लेने में कठिनाई
- सुन्नता, झुनझुनी, या हाथ या पैर में दर्द
- टखनों और पैरों में सूजन
- दस्त, कब्ज या मल में खून आना
- त्वचा में बदलाव, जैसे मोटा होना या आसानी से खरोंच आना
कारण
यह बीमारी शरीर में अमाइलॉइड्स बढ़ने से होती है। यह एक प्रकार का प्रोटीन होता है, जो कई अंगों और टिश्यू में जमा हो सकता है। कई बार यह बीमारी जेनेटिक होती है और कई बार बाहरी कारक जैसे सूजन से जुड़े रोग या लॉन्ग टर्म डायलिसिस भी इसकी वजह बन सकते हैं। ब्रोन्किइक्टेसिस वाले कुछ रोगियों को एमाइलॉयडोसिस का जोखिम हो सकता है।
जोखिम कारक
कुछ कारक इस बीमारी का जोखिम बढ़ा सकते हैं जिनमें उम्र एक है। ६० से ७० की उम्र के लोगों का इसका अधिक जोखिम है। यह बीमारी पुरुषों को ज्यादा प्रभावित करती है। पुरानी संक्रमित बीमारी इसका खतरा बढ़ाती है, अगर परिवार में किसी को थी तो आपको भी खतरा है, किडनी डायलिसिस से भी इसका जोखिम है।
अमाइलॉइड दिल की कामकाज को प्रभावित करता है जिससे दिल की धड़कन कम हो जाती है। इससे सांस की तकलीफ हो सकती है। इसी तरह से किडनी में इस प्रोटीन के जमने से उसके फिल्टर करने का काम थम जाता है। इसी तरह जब नर्वस सिस्टम प्रभावित होता है, तो आपको उंगलियों और पैरों में दर्द, सुन्नता या झुनझुनी हो सकती है।
इस बीमारी के अपने कोई खास लक्षण नहीं है। चूंकि यह बीमारी शरीर के अलग-अलग अंगों को प्रभावित करती है, तो इसके लक्षण भी उन अंगों की खराबी से जुड़े हो सकते हैं। अगर आपको किसी अंग के खराब होने का कोई भी लक्षण महसूस हो रहा है, तो आपको बिना देरी किये डॉक्टर के पासा जाना चाहिए।
उपचार
चूंकि अमाइलॉइडोसिस एक दुर्लभ स्थिति है, इसलिए रोग के निदान और उपचार की भविष्यवाणी करना मुश्किल है। जबकि उचित देखभाल प्रदान न करने पर स्थिति आक्रामक और जीवन के लिए खतरा बन सकती है, आज कई प्रकार के शोध और अध्ययन इस स्थिति के बारे में अधिक जानने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं ताकि बीमारी से निपटने के तरीके में सुधार किया जा सके।
अमाइलॉइडोसिस विभिन्न प्रकार के होते हैं, कुछ वंशानुगत होते हैं, अन्य बाहरी कारकों जैसे लंबे समय तक बीमारी की स्थिति या दीर्घकालिक डायलिसिस के कारण होते हैं। जबकि कुछ उपप्रकार केवल एक अंग या शरीर के अंग को प्रभावित करते हैं, अन्य कई अंग विफलता और चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों का कारण बन सकते हैं।
– विद्यावाचस्पति डॉक्टर अरविन्द प्रेमचंद जैन संरक्षक शाकाहार परिषद्