दु:ख की मूल जड़ संसारी प्राणी की भोग इच्छाएं हैं

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:- गणिनी आर्यिका विज्ञाश्री माताजी
4 फरवरी 2025
महावीर कुमार जैन सरावगी जैन गजट संवाददाता नैनवा जिला बूंदी राजस्थान

जिला टोंक के गुंसी ग्राम के अतिशय क्षेत्र सहस्त्र सहस्त्रकूट विज्ञातीर्थ पर
प. पू. भारत गौरव श्रमणी गणिनी आर्यिका रत्न 105 गुरु मां विज्ञाश्री माताजी ने जयपुर, कोटा, निवाई आदि स्थानों से पधारे हुए भक्तों को धर्मोपदेश देते हुए कहा कि – अज्ञानी की उपासना करने से ज्ञान एवं ज्ञानी की उपासना करने से ज्ञान मिलता है। जिसके पास जो होता है, वह वही देता है। लेकिन लुक्मान हकीम ने बुरे लोगों से अच्छाई सीख ली थी क्योंकि उनकी दृष्टि गुण ग्रहण करने की थी । माताजी ने कहा –  आज जमाना नहीं बदला अपितु हमारी सोच बदलती जा रही है । सोच के अनुसार हमें वस्तु उस रूप दिखाई देती है इसलिए कहा जाता है जैसी दृष्टि वैसी सृष्टि । दुख की मूल जड़ हमारी सोच और इच्छा है । अपनी इच्छाओं पर कंट्रोल करना सीखो , साधनों में नहीं साधना में रहना सीखो। लोगों में साधना नहीं होती योगों में साधना होती है । प्रतीक जैन सेठी ने बताया की
श्री दिगंबर अतिशय क्षेत्र सहस्रकूट विज्ञातीर्थ गुन्सी जिला टोंक (राज.) में विराजमान अतिशयकारी शांतिनाथ भगवान की शांतिधारा का अवसर राजेन्द्र जी जयपुर , राकेश जी कोटा वाले, अमित जी भानपुरा वालों ने प्राप्त किया। प्रभु के समक्ष छत्र चंवर चढ़ाकर सभी ने पूज्य गुरु मां का आशीर्वाद प्राप्त किया। प्रतीक जैन सेठी ने बताया की इसके साथ ही सभी ने पूज्य गुरु मां के उपवास के बाद पारणा कराने का सौभाग्य भी प्राप्त किया।
महावीर कुमार जैन सरावगी जैन गजट संवाददाता नैनवा जिला बूंदी राजस्थान

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