चेन्नई।
अंतरराष्ट्रीय जैन साहित्य संगम का प्रथम राष्ट्रीय अधिवेशन लोढ़ा धाम, मुंबई में हुआ। 21 सितंबर को अधिवेशन के उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि, कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने साहित्यकार डॉ. दिलीप धींग को पारदर्शी साहित्य सम्मान (2024) से सम्मानित किया। इस अवसर पर महाराष्ट्र शासन में मंत्री मंगल प्रभात लोढ़ा, साहित्य संगम की अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. मंजू लोढ़ा, अहिंसा विश्व भारती के संस्थापक डॉ. लोकेशमुनि सहित देशभर से बड़ी संख्या में जुटे कवि और साहित्यकार उपस्थित थे।
यह राष्ट्रीय सम्मान ओम पारदर्शी फाउंडेशन, उदयपुर की ओर से डॉ. धींग की सतत, सुदीर्घ व उत्कृष्ट साहित्यिक सेवाओं के लिए प्रदान किया गया। अध्यक्ष जगदीप जैन ‘हर्षदर्शी’ ने कहा कि साहित्य-मनीषी डॉ. धींग के अवदान बहुआयामी हैं। इंदुबाला हर्षदर्शी ने बताया कि यह सम्मान आशुकवि छंदराज पारदर्शी की स्मृति में प्रतिवर्ष प्रदान दिया जाता है। डॉ. धींग ने आभार-वक्तव्य में कहा कि पारदर्शी जी और उनकी रचनाएँ अनेक पत्र-पत्रिकाओं में साथ-साथ छपा करती थीं।
राज्यपाल गहलोत ने डॉ. धींग को बधाई देते हुए कहा कि लिखा हुआ सदियों तक रहता है, इसलिए लिखने का महत्व बोलने से अधिक है। जैन साहित्य का महत्व रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि अनेक देशों के विश्वविद्यालयों में जैन दर्शन का अध्ययन-अध्यापन प्रेरणादायक है। अधिवेशन में आयोजित संगोष्ठी में डॉ. दिलीप धींग ने कहा कि प्राकृत भाषा ने भारत में भाषाई लोकतंत्र की प्रतिष्ठा की है। भाषागत अहिंसा में भी प्राकृत का बुनियादी योगदान है। डॉ. धींग ने साहित्यिक घालमेल पर चिंता व्यक्त की एवं लेखन में प्रामाणिकता की प्रेरणा दी।
इस अवसर पर लगी पुस्तक प्रदर्शनी में सर्वाधिक पुस्तकें डॉ. दिलीप धींग की प्रदर्शित हुईं। जैन साहित्य संगम, तमिलनाडु को सर्वश्रेष्ठ इकाई एवं प्रदेशाध्यक्ष सीए गौतमचंद बोहरा को श्रेष्ठ सदस्य सम्मान दिया गया।
– मनोज जैन मनोकामना (महामंत्री)
संलग्न फोटो : डॉ. धींग को सम्मानित करते कर्नाटक के राज्यपाल गहलोत एवं अन्य
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