डॉ. अरिहन्त हुए श्रीफल पत्रकारिता पुरस्कार से सम्मानित

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श्रीफल फाउंडेशन परिवार ट्रस्ट के संस्थापक अंतर्मुखी मुनिश्री पूज्यसागर महाराज के सानिध्य में इंदौर में सम्पन्न द्विदिवसीय (6-7 जनवरी 2024) श्रीफल पत्रकारिता पुरस्कार समारोह में युवाविद्वान् डॉ. अरिहन्त कुमार जैन, मुम्बई को चारुकीर्ति भट्टारक स्वामी श्रवणबेलगोला स्मृति श्रीफल पत्रकारिता पुरस्कार २०२४ से सम्मानित किया गया । यह पुरस्कार डॉ. अरिहन्त के संपादकत्व में अङ्ग्रेज़ी में प्रकाशित ‘प्राकृत टाइम्स इंटरनेशनल न्यूज़लेटर’ के रूप में उनकी नोबल पत्रकारिता के लिए प्रदान किया गया है, जो कि प्राच्य प्राकृत भाषा एवं साहित्य को देश-विदेश में विश्वस्तर पर प्रसारित कर रहा है । यह सम्मान इन्हें श्रीफल फाउंडेशन द्वारा दो वरिष्ठ विद्वानों डॉ. अनुपम जैन (आचार्य शांतिसागर चारित्र चक्रवर्ती विद्वान पुरस्कार) तथा वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. सरोज जैन, इंदौर (चारुकीर्ति भट्टारक स्वामी स्मृति पुरस्कार) के साथ प्रदान किया गया । इसी क्रम में प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के क्षेत्र में काम कर रहे देश जाने-माने वरिष्ठ पत्रकारों को भी सम्मानित किया गया । मुनिश्री पूज्यसागर महाराज ने डॉ. अरिहंत के कार्यों की सराहना की सभी पत्रकार बंधुओं को आशीर्वाद देते हुए कहा कि लोकतन्त्र का चौथा स्तम्भ होने के नाते निष्पक्ष पत्रकारिता से ही देश एवं समाज की कुरीतियाँ दूर होंगी और देश विकास की ओर बढ़ेगा ।

ज्ञातव्य है कि डॉ. अरिहन्त, जैन अध्ययन केंद्र, के. जे सोमैया इंस्टीट्यूट ऑफ धर्म स्टडीज़, सोमैया विद्याविहार यूनिवर्सिटी, मुम्बई में असिस्टेंट प्रोफेसर हैं । आपको हाल ही में भारतीय विद्या भवन, मुम्बई फ़िलॉसफी डिपार्टमेंट की अकादमिक काउंसिल द्वारा बोर्ड ऑफ स्टडीज़ के विषय विशेषज्ञ के रूप में मनोनीत किया गया है । आप Jain Association of North America की वेब मैगज़ीन JAIN AVENUE (jainavenue.org) के एसोसिएट एडिटर भी हैं । कोलोंबो (श्रीलंका) में आयोजित इंटरनेशनल कांफ्रेस में आपने आमंत्रित विद्वान् के रूप में भारत का नेतृत्व किया है, साथ ही राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय सेमीनारों के संयोजन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है । प्राकृत एवं जैनागम विषयक आपकी पुस्तकें हिंदी तथा अंग्रेज़ी में प्रकाशित हो चुकी हैं, साथ ही अनेक शोध पत्र-पत्रिकाओं में आप अपने समसामयिक लेखों एवं शोधालेखों के माध्यम से प्राच्य भाषा-साहित्य एवं संस्कृति के उन्नयन के प्रति समाज को जागरूक भी करते रहते हैं। आप बनारस के वरिष्ठ विद्वान प्रो. फूलचंद जैन प्रेमी एवं डॉ. मुन्नी जैन के सुपुत्र हैं ।

पुरस्कार प्राप्त कर डॉ अरिहन्त ने अपने आभार वक्तव्य में बताया कि ‘जगद्गुरु कर्मयोगी चारुकीर्ति भट्टारक महास्वामी का विशेष आशीष उन पर था और उनके ही आशीर्वाद एवं मार्गदर्शन में उन्होंने श्रवणबेलगोला श्रीक्षेत्र के ऐतिहासिक और पुरातात्विक महत्त्व को दर्शाती “प्राकृत भाषा – एक प्राचीन समृद्ध परंपरा” नामक रिसर्च डाक्यूमेंट्री फ़िल्म का निर्माण भी किया था, जो कि राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय फ़िल्म मंचों पर सराही गयी है  । आज उन्हीं पूज्य भट्टारक स्वामी के नाम का पुरस्कार प्राप्त कर वे अभिभूत हैं, और इसी प्रकार वे इस क्षेत्र में और उत्साह से कार्य करते रहेंगे ।‘ इस कार्यक्रम को सफल बनाने में इसके प्रमुख आयोजक श्री नरेंद्र वेद एवं भरत-जितेंद्र जैन का बहुमूल्य योगदान रहा जिसका सफल संयोजन डॉ. सुबोध जैन ने किया। इस अवसर पर इंदौर के अनेक पत्रकार, साहित्यकार एवं विद्वद्जन उपस्थित थे ।

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