डोली में सवार होकर आयेंगी मां दुर्गा, महानवमी और विजया दशमी एक ही दिन

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मुरैना (मनोज जैन नायक) साधना का नवरात्र महापर्व यू तो वर्ष भर में चार बार आता है दो बार गुप्त नवरात्रि के रूप में और दो बार सार्वजनिक रूप में।
गुप्त रूप में माघ शुक्ल पक्ष प्रतिपदा से नवमी और आषाढ़ शुक्ल पक्ष प्रतिपदा से नवमी तक।
चैत्र शुक्ल पक्ष प्रतिपदा से नवमी तक और आश्विन शुक्ल पक्ष प्रतिपदा से नवमी तक विशेष सार्वजनिक रूप में दुर्गा मां की साधना उत्साह पूर्वक की जाती है।
वरिष्ठ ज्योतिषाचार्य डॉ हुकुमचंद जैन ने बताया कि इस बार की शारदीय नवरात्रि घट स्थापना 03 अक्टूबर दिन गुरुवार को है।
घर स्थापना का विशेष मुहूर्त अमृत की चौघड़िया में प्रातः 06:11 बजे से 07:42 बजे तक ।
शुभ की चौघड़िया में प्रातः 09:12 बजे से 10:43 बजे तक फिर अभिजित मुहूर्त में दोपहर 11:49 बजे से 12:37 बजे तक रहेगा।इस बार नवरात्रि के दिनो मे तृतीया तिथि की वृद्धि हुई है यह 05/06 अक्टूबर दिन शनिवार/रविवार दोनो दिन तिथि वृद्धि मान से रहेगी। उधर महानवमी और दशहरा दोनो ही एक ही दिन 12 अक्टूबर शनिवार को मनाए जायेंगे।
जैन ने कहा कि वैसे तो मां दुर्गा जी का वाहन सिंह माना गया है परंतु इस बार गुरुवार से शारदीय नवरात्रि घट स्थापना दिवस होने से दुर्गा जी का वाहन डोली रहेगा अर्थात डोली में बैठकर आयेंगी जब मां डोली में बैठ कर आती है तो पश्चिमी देशों के लिए अच्छा नहीं कही नए युद्ध की शुरुवात आने वाले महीनों में हो सकती है।
भारत में भी प्राकृतिक आपदाएं और किसी रोग के फेलने का भय बना रहता है।
शारदीय नवरात्रि को दुर्गा मां के भक्त बड़े पैमाने पर तैयारिया और उत्साह पूर्वक मनाते है। अनेक सामाजिक संस्थाएं द्वारा गर्वा डांडिया जैसे उत्सव का आयोजन चलता है मौसम की अंकूलता से मां के अनेक भक्त नो दिनो तक भी व्रत और उपवास रखकर मां की साधना भक्ति में लीन रहते हैं।
किस दिन मां के किस रूप की होगी पूजा :-
03 अक्टूबर गुरुवार पहले दिन मां शैल पुत्री
04 अक्टूबर शुक्रवार दूसरे दिन मां ब्रह्मचारणी
05 अक्टूबर शनिवार तीसरे दिन मां चंद्रघंटा
06 अक्टूबर रविवार मां कुष्मांडा
07 अक्टूबर सोमवार मां स्कंधमाता
08 अक्टूबर मंगलवार मां कात्यायनी
09 अक्टूबर बुधवार मां कालरात्रि
10 अक्टूबर गुरुवार मां सिद्धि दात्री
11 अक्टूबर शुक्रवार मां महागौरी शरद नवरात्रि व्रत पारण
12 अक्टूबर शनिवार मां दुर्गा प्रतिमा विसर्जन इसी दिन दशहरा भी मनेगा।

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