दो हज़ार लोगों की उपस्थिति में एम के जैन का अमृत महोत्सव संपन्न

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इंदौर
दिगंबर जैन समाज के वरिष्ठ समाजसेवी एवं दिगंबर जैन समाज सामाजिक संसद के परम संरक्षक श्री एम के जैन का
आयु के 75 वर्ष की पूर्णता पर परिवार द्वारा निर्वाणा रिसॉर्ट में आयोजित अमृत महोत्सव साआनंद संपन्न हुआ।दो हजार लोगों की उपस्थिति में आयोजित महोत्सव में विभिन्न संस्थाओं, मित्रों शुभचिंतकों और समाज जनों ने श्री जैन का माला,शाल, श्रीफल और अभिनंदन पत्र देकर सम्मान किया।
समारोह में मंत्री श्री कैलाश विजयवर्गीय, विधायक रमेश मेंदोला, गोलू शुक्ला एवं पूर्व विधायक संजय शुक्ला सहित दिगंबर जैन समाज के भरत मोदी, सामाजिक संसद के अध्यक्ष राजकुमार पाटोदी, महामंत्री सुशील पांड्या, जैन समाज के राष्ट्रीय नेता हंसमुख गांधी, वरिष्ठ समाजसेवी डॉक्टर जैनेंद्र जैन, नरेंद्र जैन (पप्पाजी)
राजीव जैन बंटी भैया, पुलक चेतना मंच के वरिष्ठ प्रदीप बडजात्या, शिक्षाविद स्वप्निल कोठारी, छत्रपति नगर जैन समाज अध्यक्ष भूपेंद्र जैन, कॉलोनाइजर रमेश जैन, एवं नवीन आनंद गोधा, धर्मेंद्र पाटनी एवं संजय अहिंसा, अजय मिंटा आदि समाज श्रेष्ठि उपस्थित थे।
आभार एमके जैन के पुत्र मधुर जैन ने माना।
इस अवसर पर धर्म समाज प्रचारक राजेश जैन दद्दू द्वारा समारोह में उपस्थित समाज श्रेष्ठियों से श्री जैन साहब के व्यक्तित्व पर विचार मांगे जाने पर सर्वप्रथम सामाजिक संसद के अध्यक्ष राजकुमार पाटौदी एवं सुशील पांड्या , अंजय मिटा शेखर छाबड़ा ने कहा कि जैन साहब दिखते साधारण हैं लेकिन उनका व्यक्तित्व असाधारण और धर्म समाज के प्रति उनका समर्पण सराहनीय है। बीड़ी वाला परिवार के वरिष्ठ नरेंद्र जैन पप्पाजी एवं राजीव जैन बंटी भैया ने महेंद्र जी को समाज हित चिंतक बताया और कहा कि इस उम्र में भी वे विभिन्न सामाजिक धार्मिक संस्थाओं से जुड़कर समाज सेवा में सक्रिय हैं जो वंदनीय है। समाजसेवी डॉक्टर जैनेंद्र जैन ने कहा कि जैन साहब लक्ष्मी पुत्र होकर भी अहंकार रहित सादगी पसंद व्यक्ति हैं और अपनों से हंसना बोलना और परायों में अपनापन बोना उनके व्यक्तित्व की विशेषता है। पुलक चेतना मंच के प्रमुख श्री प्रदीप बडजात्या ने कहा कि समाज की एकता के पक्षधर महेंद्र भाई ने विनम्र एवं सरल स्वभाव, मधुर वाणी और व्यवहार एवं सबको साथ लेकर चलने के गुणों के कारण समाज में विशिष्ट स्थान प्राप्त किया है वे हम सब के सम्माननीय हैं, वे स्वस्थ रहें । आभार मधुर जैन ने माना।
शतायु हों।

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