डी. एल. एस. ए. द्वारा कानूनी जागरूकता वर्कशॉप का हुआ आयोजन

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यमुनानगर, 4 मई (डा. आर. के. जैन):
जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा ए. डी. आर. सभागार में बाल श्रम व पॉक्सो अधिनियम, किशोर न्याय अधिनियम आदि विषयों पर वर्कशॉप का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट कम सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण सुमित्रा कादियान ने की तथा संचालन करते हुये पैनल अधिवक्ता वी. पी. एस. सिद्धू ने कहा कि भारत में बाल शोषण एक व्यापक और परेशान करने वाली समस्या है, जहाँ हर साल लाखों बच्चे शारीरिक, भावनात्मक और यौन शोषण का शिकार होते हैं। वर्ष 2017-2020 के बीच बाल शोषण के 24 लाख मामले दर्ज किए गए जिनमें से 80 प्रतिशत पीड़ित 14 वर्ष से कम उम्र की लड़कियां थीं। उन्होंने बताया कि भारत सरकार ने बच्चों को शोषण से बचाने के लिए कई कानूनी उपाय लागू किए हैं, और इन उपायों का उद्देश्य बाल शोषण के अपराधियों को रोकना, उनका पता लगाना और उन्हें दंडित करना है। कई बाल संरक्षण अधिनियमों के बावजूद, अभी भी बाल अधिकारों के विभिन्न रूपों का उल्लंघन होते हुए देखते हैं, जिसमें भोजन के अधिकार, शिक्षा के अधिकार, स्वास्थ्य के अधिकार और शोषण के विरुद्ध अधिकार तक पहुँच से वंचित करना और उन्हें प्राप्त करने में असमर्थता शामिल है। बच्चों की सुरक्षा के लिए व्यापक कानून हैं, और बाल संरक्षण को सामाजिक विकास के मुख्य घटक के रूप में तेजी से स्वीकार किया जा रहा है। उन्होंने आगे कहा कि भारत में बाल शोषण की समस्या से निपटने के लिए बच्चों को पर्याप्त सुरक्षा प्रदान करने वाले प्रभावी कानून और नीतियों को लागू करना और इस मुद्दे के बारे में लोगों को शिक्षित करना आवश्यक है। इसमें मौजूदा कानूनों को मजबूत करना, बाल संरक्षण सेवाओं के लिए धन बढ़ाना और बाल शोषण के संकेतों और प्रभावों के बारे में लोगों को शिक्षित करने के लिए जागरूकता अभियान लागू करना जैसे उपाय शामिल हो सकते हैं। सूचना के प्रसार का एक और प्रभावी तरीका स्कूलों में शिक्षकों, देखभाल करने वालों और नाबालिगों को दुर्व्यवहार के रूपों उपायों और अधिकारों के बारे में कार्यशालाएं आयोजित करना हो सकता है।
फोटो नं. 1 एच.
वर्कशॉप में भाग लेते अधिकारी व सदस्य…………….(डा. आर. के. जैन)

श्रद्धालुओं ने 48 मंत्रों के साथ प्रभु को अर्पित किये 48 दीपक
भक्तामर पाठ ध्यान व भक्ति से करने पर होता है कष्टों का निवारण- जैन
यमुनानगर, 3 मई (डा. आर. के. जैन):
रैस्ट हाऊस रोड श्री महावीर दिगम्बर जैन मंदिर के प्रांगण में 48 दीपों का भक्तामर अर्चना का विधान का आयोजन गिरिराज स्वरूप जैन परिवार के सौजन्य से किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता जैन महिला मण्डल की महामंत्री सुमन जैन की तथा संचालन पं. शील चंद जैन ने किया। कार्यक्रम का शुभारम्भ णमोकार महामंत्र के गुंजन व दीप प्रवजलन कर किया गया। स्नेहलता जैन ने बताया कि स्वास्तिक माण्डले पर 48 दीपों से भक्तामर अर्चना व आराधना की गई। उन्होंने बताया कि प्रत्येक श्लोक-मंत्रों के साथ भिन्न-भिन्न परिवारों के द्वारा प्रभु जी को दीपक अर्पित किया गया। इसमें सर्वविद्यन विनाशक, सर्व सिद्धि दायक, जल-जन्तु भयमोचक, नेत्र रोग संहारक, सरस्वती विद्या प्रसारक, सर्व संकट निवारक, सर्वारिष्ट योग निवारक, भय-पाप नाशक, कूकर विष निवारक, वांछित रूप प्रदायक, लक्ष्मी सुखदायक, आधि-व्याधि नाशक, सम्मान-सौभाग्य संवर्धक, दिव्य ध्वनि प्रतिहार्य, लक्ष्मी प्रदायक, जलोदरादि रोग विनाशक आदि काव्यों के साथ आराधना की गई। मंजू जैन ने संबोधित करते हुये कहा कि भक्तामर विधान एक अनोखी विधा है, जिसको भिन्न-भिन्न रंग रूप में पाया जाता है। इसके अध्ययन व पाठ से इसका चमत्कार देखने को मिलता है। भक्तामर का पाठ ध्यान व भक्ति से करने पर कष्टों का निवारण होता है, दुखों की समाप्ति होती है। इसका प्रभाव सभी कष्टों को मिटा जीवन को सुखमय व शांतिमय बनाता है। उन्होंने आगे कहा कि भगवान किसी को कुछ नहीं देते, परंतु भगवान की भक्ति सब कुछ दे देती है। पुण्य रूपी सुगंध से भक्तों के मन खिल जाते है। आत्मा रूपी वृक्ष से लिपटे हुये कर्म रूपी बंधन खुल जाते है। आदिनाथ स्त्रोत जो भक्ति रस का अद्वितीय महाकाव्य है उसकी रचना उस समय हुई जब राजा भोज के दरबार में कवि कालिदास तथा वररुचि ने साम्प्रदायिकता वश आचार्य प्रवर मानतंगु को राजा की आज्ञानुसार पकड़वाकर 48 तालों के अंदर कोठरियों में बंद करवा दिया उस समय आचार्य श्री ने आदिनाथ स्त्रोत की रचना की। स्त्रोत के प्रभाव से ताले व जंजीरे अपने आप टूट गये और वह मुक्त हो गए। अंत में राजा ने हार स्वीकार कर आचार्य से क्षमा मांगी और आचार्य श्री से प्रभावित होकर जैन धर्म अपना लिया। उन्होंने आगे बताया कि स्वास्तिक चिन्ह पर 48 दीपों से भक्तामर अर्चना की गई, और प्रत्येक श्लोक के साथ परिवारों द्वारा दीप जला करा प्रभु का अर्पित किया गया। पाठ के उपरांत आरती की गई। इस अवसर पर भारी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे।
फोटो नं. 2 एच.
पाठ करते व आरती करते श्रद्धालु……………(डा. आर. के. जैन)

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