हमारे देश में सात वार और नौ त्यौहार मनाये जाते हैं और देश स्वतंत्र होने से स्वच्छंदता से भरपूर हैं .धर्म के नाम पर इतने कट्टर हैं की मंदिर मस्जिद के सामने आवाज़ बंद हो जाती हैं .जीवित इंसानों की कोई कीमत नहीं हैं पर मरणोपरांत सम्मान और इज़्ज़त मिलती हैं जब वह अपना सम्मान नहीं देख पाता हैं .आजकल त्योहारों में शक्ति प्रदर्शन के साथ अत्यधिक दिखावा होता हैं जो बहुत जरुरी हैं पर उस दौरान जो भोंडा शोर शराबा होता हैं वह मृत्यु कारक होती हैं पर आयोजकों को कोई फरक नहीं पड़ता हैं ,कारण चंदा उगाही से ही कार्यक्रमों के साथ उनके भी कार्यक्रम जैसे शराब ,नशा आदि करते हैं उस कारण जिनसे चंदा लेते हैं उनकी उन्हें परवाह नहीं होती हैं .
पिछले कुछ सालों से जितने लाइव मौत के वीडियो सामने आए उनमें ज्यादातर में एक चीज कॉमन है। लाउड डीजे और लाउड म्यूजिक। इन दोनों का होना कॉमन फैक्टर था। जो डीजे दरवाजे खिड़कियों के शीशे तोड़ सकता है, वह नाजुक हार्ट को आसानी से तोड़ सकता है। डीजे के स्थान पर पारंपरिक ढोल नगाड़ों का प्रयोग हो सुनने में भी आनन्द आता है और आवाज भी एक लिमिट में होती हैं ।
यदि जिंदा रहना चाहते हैं तो डीजे से दूरी बनायें… डीजे की तेज आवाज और उस पर नाचते-गाते युवा अचानक हार्ट अटैक से मर रहे हैं। डीजे की भारी आवाज और धमक से हार्ट के ऊपरी दो चैंबरों में खून सही तरीके से नहीं पहुंच पाता, जिससे लोअर चैंबर्स का ब्लड फ्लो भी गड़बड़ा जाता है……इससे हार्ट अटैक का जोखिम बढ़ जाता है। गुजरात में डांडिया में बजता डीजे अब तक 10 लोगों की जान ले चुका है…
एक अध्ययन के अनुसार हमारे कान सन्नाटे तक की आवाज सुन सकते हैं, जो 0 से 5 डेसिबल तक होती है…..70 डेसिबल तक आवाज परेशान नहीं करती है लेकिन इसमें 5 डेसिबल की बढ़त से हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा 34% तक बढ़ जाता है। इससे दरअसल दिल की धड़कनें अनियमित हो जाती हैं, जो अचानक हार्ट अटैक का कारण बन सकती हैं…..
इसलिए डीजे की तेज आवाज से आप का धर्म जागता है या नहीं लेकिन आप मौत के आस पास टहल रहे होते हैं…. धार्मिक पागलपन के माहौल में इस तरह की पोस्ट का हालांकि कोई मतलब नहीं है, फिर भी!
24 घंटे में गुजरात में गरबा प्रोग्राम में 10 लोगों की मौत हार्ट अटैक से हुई है। पिछले कुछ सालों से जितने लाइव मौत के वीडियो सामने आए उनमें ज्यादातर लाउड डीजे और म्यूजिक कॉमन फैक्टर था। जो डीजे दरवाजे खिड़कियों के शीशे तोड़ सकता है वह नाजुक हार्ट को आसानी से तोड़ सकता है। सभी धार्मिक कार्यक्रमों से डीजे पर पूर्णतः प्रतिबंध लगना चाहिए, डीजे के स्थान पर पारंपरिक ढोल नगाड़ों का प्रयोग हो।
डी ज़े के कारण हृदय घात के साथ मानसिक रोगी को पागलपन का दौरा पड़ने लगता हैं और ध्वनि प्रदुषण का जनक मानसिक दूषण हैं ,इन आयोजकों को डी जे हृदय रोग हॉस्पिटल और मानसिक रुग्णालय के आस पास बजाना चाहिए जिससे उनका जनसख्या में योगदान महत्वपूर्ण होगा और चिकित्सकों से उन्हें कमीशन भी मिलेगा ,उनका महत्वपूर्ण योगदान रोगी बनाने और बढ़ाने में होगा .आयोजकों के घरों में कोई रोगों से पीड़ित हो उन्हें जरूर तेज़ आवाज़ में सुनाना ही चाहिए तब ही उनको तेज़ आवाज़ के दुष्परिणामों का अहसास होगा .
सबसे कम उम्र का युवा 17 वर्ष का था, और ये आँकड़ा सिर्फ़ मरने वालों का है, गरबा स्थलों से 500 से ज़्यादा बार एम्बुलेंस को कॉल करके अस्पतालों में ऐडमिट करवाया गया है अहमदाबाद में। डीजे नॉर्मल वॉल्यूम पर बजवाइए 🙏
कितना जरुरी हैं डीजे बजवाना ,
क्या उसके न बजने से उत्सव फीका होगा ,
उत्सव आनंद का प्रतीक हैं ,
उसके कारण किसी की गमी होना
उत्सव की गरिमा बढ़ाएगा .
तेज़ आवाज़ करना अपराध हैं
और
अपराधियों को दण्डित किया जाना जरुरी हैं
मनोरंजन होना जरुरी हैं ,
वह भी मर्यादित
विद्यावाचस्पति डॉक्टर अरविन्द प्रेमचंद जैन संरक्षक शाकाहार परिषद् A2 /104 पेसिफिक ब्लू ,नियर डी मार्ट, होशंगाबाद रोड, भोपाल 462026 मोबाइल ०९४२५००६७५३
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