आचार्य परम तपस्वी सुनील सागर महाराज
9 मई शुक्रवार 2025
महावीर कुमार जैन सरावगी जैन गजट संवाददाता नैनवा द्वारा
आदि सागर अंकलीकर चतुर्थ पटाधीश आचार्य सुनील सागर महाराज ने अपार धर्म सभा को संबोधित करते हुए बताया की धर्म एक ही है उन्हें समझाने के तरीके अलग-अलग है परिभाषा किसी भी एक बात को पकड़ लो सही मार्ग पर चलो वही धर्म है
दिगंबर संत की कोई ड्रेस नहीं होती नहीं कोई एड्रेस होता है यह चलते-फिरते तीर्थ है जिन्होंने लाभ ले लिया वह संसार से तीर गया
आज हम चाहते हैं देश का मुख्य नागरिक जैन बने क्या आपके पास इतनी संख्या है इतना बल है उसमें एकता का बल है एक विधायक बनाने के लिए कितनी परेशानी आती है लोग अलग-अलग मतों में जी रहे हैं श्रावकों की जिम्मेदारी बनती है की खुली सभा में न्याय नहीं मागते बड़े-बड़े क्षेत्रों पर अतिक्रमण हो रहे हैं एक महाराज ने कहा मंच पर आप ऐसा वैसा नहीं बोलना महाराज आचार्य ने कहा मैं तो धर्म के विपरीत कोई बात ही नहीं बतलाता जिससे सभी का लाभ हो ऐसी भाषा का में प्रयोग करता हूं जनो के शाश्वत ही जैन की पहचान है
आचार्य तपस्वी सन्मति सागर महाराज कहते थे कि अरिहंत बनो यह नहीं बन सकते हो तो कम से कम संत बनो संत भी तुम नहीं बन सकते तो कमंडल पकड़ने वाले ज्ञानी बनो अपने घर को पवित्र करने के लिए श्रावक साधु को घर ले जाते हैं उनका मार्ग दर्शन यही होता है कि साधु के पैर हमारे घर पर पड़े हमारा घर मंगलमय हो गया बड़ी-बड़ी सभाओं में धक्का मुक्की करके साधु के पेड़ छूने के लिए सेल्फी लेना चाहते हो मन की लो शरीर की नहीं *चेतन की सेल्फी बहुत ही उपयोगी है साधु के दर्शन अपने मन में बनाओ
इसी से प्राणी का कल्याण होगा
आचार्य ने यह भी बताया अपने नाम के पीछे ना दौड़ो कर्म के पीछे जोड़ो मंदिरों की कार्यकारिणी के लिए विवाद उत्पन्न करते हैं वह अच्छे कर्म नहीं है स्वयं धर्म के कर्म करो पहचान अपने आप ही बनती चली जाएगी और लोगों जानेंगे कि यह व्यक्ति धर्म के प्रति समर्पित है अपार भक्तों ने मुनि के प्रवचनों का लाभ प्राप्त किया
अपने देश की अमन शांति के लिए जैन के लिए प्रत्येक व्यक्ति को रात्रि को णमोकार मंत्र का पाठ जपना चाहिए इसे शीघ्र ही शांति होगी
महावीर कुमार जैन सरावगी जैन गजट संवाददाता नैनवा जिला बूंदी राजस्थान
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