जैनाचार्य 108 श्रुतेश सागर जी महाराज
देखने की दृष्टि अच्छी होना चाहिए
27 जुलाई शनिवार शांति वीर धर्मस्थल महावीर 20 पथ जिनालय पर वर्षा योग कर रहे जैन मुनि श्रुतेश सागर महाराज ने अपने संबोधन में बताया
गुरु की वाणी संसार से पार करने वाली है विद्या का सदैव अभ्यास करना चाहिए
मनुष्य का जीवन बचपन जवानी और अंतिम पड़ाव बुढ़ापा आ जाने पर भी मनुष्य अपने लिए कुछ नहीं कर रहा बल्कि पर के लिए दिनराज बौझा ढो रहा है साधु ने बताया कि अंतिम समय में मुक्ति का मार्ग धर्म की साधना है
दिगंबर अवस्था में मुनि को देखने से जानवर को भी ज्ञान प्राप्त हो सकता है इंद्र भी
भगवान के समोशरण में भक्ति के लिए नृत्य करता था आज भी युवा वर्ग को भगवान की भक्ति में नृत्य तलीन होकर भक्ति करना चाहिए यही एक मुक्ति का मार्ग मुनि ने बताया
दृष्टि ही मुक्ति दिलाती है
मुनि नेआंखों की दृष्टि के बारे में उदाहरण देते हुए बताया
पत्नी व बहिन दोनों महिलाएं हैं देखने की दृष्टि में कितना फर्क है एक को निर्मलता पवित्रता की दृष्टि से देखा जाता है दूसरी तरफ पत्नी है उसको देखने की भोग दृष्टि अलग बन जाती है दोनों महिलाएं हैं देखने में कितना अंतर है मुनिराज ने यह देखने की दृष्टि का उदाहरण दिया
मुनि सविज्ञसागर महाराज जी ने बताया
हमारा जीवन पर वस्तुओं को अपना मानता है संकल्प व विकल्प दोनों में हमारी जिंदगी पूरी हो रही है
ना तो यह शरीर हमारा है और ना स्त्री अपनी है फिर भी उसके प्रति आसक्त ही हमारा दुख का एक कारण मुनि ने बताया
जो मेरा है ही नहीं उसे अपना मानना संकल्प दुख का कारण है
इसके बारे में हम सोचते हैं किसी भी वस्तु को प्राप्त करना चाहते हैं यह विकल्प हमारे मन में आता ही दुख का और परेशानी का कारण मुनि ने बताया
धर्म का पुरुषार्थ करने से ही कल्याण होगा मनुष्य पर्याय से बड़ी कोई पर्याय नहीं है इससे मनुष्य भक्ति करके भगवान भी बन सकता है इतनी शक्ति आज मनुष्य में विद्यमान है
धर्म सभा का दीप प्रज्वलित देवेंद्र कुमार जी जैन मारवाड़ा एडवोकेट परिवार ने पुण्य प्राप्त किया
मंगलाचरण की प्रस्तुति महावीर कुमार वेद सरावगी के द्वारा
दिगंबर जैन समाज प्रवक्ता महावीर कुमार जैन सरावगी