दिगम्बर मुनि श्री की लीफ आर्ट – साधना और सृजन का अद्भुत संगम
राजेश जैन दद्दू
इंदौर
परम पूज्य आचार्य श्री 108 विभव सागर जी महा मुनिराज के परम प्रभावक शिष्य मुनि श्री 108 शुद्धात्मसागर जी महाराज की लीफ आर्ट केवल एक कला नहीं, बल्कि आत्मा की गहराइयों से निकली हुई साधना की अभिव्यक्ति है। साधु जीवन में जहाँ भौतिक साधनों का अभाव होता है, वहाँ भी आत्मानुभूति की समृद्धि उनके प्रत्येक कार्य को विशेष बना देती है। धर्म समाज प्रचारक राजेश जैन दद्दू ने बताया कि
अलग अलग पत्तों पर उकेरी गई यह कला हमें यह संदेश देती है कि –साधन सीमित हों तो भी साधना अनंत हो सकती है। मुनि श्री ने कहा कि प्रकृति के एक साधारण पत्ते में भी अनूठा सौंदर्य छिपा है, बस उसे देखने की दृष्टि होना चाहिए।जब हृदय में शुद्धता और आत्मा में सृजनात्मकता हो, तो पत्थर नहीं, पत्ते भी बोल उठते हैं।
मुनि श्री की यह लीफ आर्ट हर दर्शक को आकर्षित करती है और साथ ही यह प्रेरणा देती है कि कला तभी महान है जब उसमें आध्यात्मिकता की महक हो। आज यह प्रर्दशनी देखने श्रंमण मुनि पुज्य सागर जी ने भी प्रदर्शनी का अवलोकन किया।
यह रचनाएँ केवल देखने योग्य चित्र नहीं, बल्कि ध्यान और साधना का जीवंत प्रतीक हैं।
इनके माध्यम से प्रकृति, धर्म और आत्मा का अद्भुत संगम साकार होता है।
सचमुच, मुनि श्री शुद्धात्मसागर जी की लीफ आर्ट जैन साधु जीवन की सरलता, सृजन और आध्यात्मिक गहराई का अद्वितीय
इस एग्जिबेशनके रचनाकार मुनिश्री 108 शुद्धात्म सागर महाराज जी के हस्त कर कमलों के द्वारा बनाया गया है
यह एग्जिबेशन दिनाॅक 05-09-2025 तक हांई लिक सिटी में रहेगी। दिगम्बर जैन समाज हांई लिक सिटी के अध्यक्ष संजय बरखा बड़जात्या एवं सचिव दिलीप अनीता जैन बताया कि मुनि श्री संसघ की दिव्य देशना प्रति दिन सुबह 9 बजे से 10 बजे तक हांई लिक सिटी में होती है सभी समाज बंधु प्रर्दशनी एवं धर्म सभा का लाभ लेकर अपने पुन्य का संचय करे।
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