दिगम्बर जैन सोशल ग्रुप ने तीर्थंकरों की जन्मभूमियों की कि भव्य यात्रा

0
51

फागी संवाददाता

दिगम्बर जैन सोशल ग्रुप
तीर्थंकर जयपुर के सदस्यों ने 27जुलाई 2024को प्रात: तीर्थंकरों की जन्मभूमियों के दर्शन के लिए दुर्गापुरा जैन मंदिरजी के दर्शन कर रवाना हुए, कार्यक्रम में सबसे पहले कम्पिलाजी पहुंचे,वहा पहुंच कर मंदिरजी में भगवान विमलनाथ की खडगासन प्रतिमा व अन्य सभी वेदियों के दर्शन किये,वंहा से श्रावस्ती पहुंचे जंहा भगवान सम्भवनाथ का अभिषेक किया व भोजन किया।फिर अयोध्या पहुंच कर बडे मंदिर में भगवान आदिनाथ की 31फीट उतंग प्रतिमा के डां एम एल जैन ” मणि “अध्यक्ष तीर्थंकर ग्रुप ने बोली के माध्यम से अभिषेक व शान्तिधारा की ,बाद में सभी ने आदिनाथ विधान किया व शेष दो मंदिरों के जो उसी केम्पस में बने हुये हैं,उनके दर्शन किए व नये बन रहे तीनलोक व अन्य मंदिरों के निर्माण को देखा व अन्य चार तीर्थंकरों की जन्म भूमियों के दर्शन करने केम्पस से बाहर 7मंदिरों के दर्शन किए। इनमें अजितनाथ,अभिनन्दन ,अनन्तनाथ व सुमतिनाथ की जन्म भूमियों के दर्शन किए,बाद में सभी सुपर सीनियर सिटिजऩ रामलला के दर्शन करने गए वंहा सीनियर सिटिजन के लिए वी आई पी व्यवस्था कर रखी है, बाद में अयोध्या से रतनपुरी 30 किलोमीटर गये व धर्मनाथ जी की जन्मभूमि के दर्शन किए। बाद में सारनाथ सिंहपुरी में भगवान श्रेयांसनाथ की जन्मभूमि के दर्शन किए। यहां सभी जगह रात 7बजे पूर्व ही दर्शन कराये जाते हैं।फिर चन्द्रपुरी में दर्शन के लिए बात की तो मैनेजर ने मना कर दिया बोला मेरा बच्चा गिर गया डाक्टर के दिखाने जा रहा हूं। डां मणि ने अपना पूरा परिचय दिया व कहा यदि सम्भव होगा तो मैं आते ही आपके बच्चे का इलाज कर दूंगा ।इस पर मैनेजर पंकज व उसकी धर्मपत्नी प्रियांसी तैयार हो गये व हमारे अनुरोध पर रात 9बजे मंदिरजी खोल दिया।पहुंचते ही डां मणि ने उसके बच्चे के हिमेटोमा का इलाज चालू कर दिया व चन्द्रप्रभ जी की जन्मभूमि के अतिशय से वंहा रात्रि विश्राम किया तथा सुबह अभिषेक व शान्तिधारा की तथा भगवान से उस बच्चे के शीघ्र स्वास्थ्य की कामना भी की।वंहा से भेलूपुर गये जंहा भगवान सुपार्श्वनाथ की जन्मभूमि के दो जिन मंदिरों के दर्शन किए व पास ही 2 किलोमीटर पर गंगा किनारे भगवान पार्श्वनाथ की जन्मभूमि भदौनी के दो जैन मंदिरों के दर्शन किए व गंगा जी का प्रवाह देखा।वंहा से प्रयागराज भगवान आदिनाथ की तपोस्थली पहुंचे ।छोटी टेकरी पर भगवान आदिनाथ के व कैलाशपर्वत, दीक्षास्थली व समोशरण व गुभा मंदिर के दर्शन किए व भोजन किया।फिर कोशाम्भी के लिए रवाना हुये।कोशाम्भी में भगवान पदमप्रभू की अतिप्राचीन मूर्ति के दर्शन किए जहां उनके दो कल्याण हुये हैं,व शेष दो वंहा से 13किलोमीटर दूर प्रभाषगिरी में हुये हैं।प्रभाषगिरी पहुंच कर वंहा के चार जिनमन्दिरों के दर्शन किए जिनमें एक पारणा मंदिर भी है,जहां भगवान का अहार हुआ। रात्रि विश्राम के पश्चात सुबह प्रभाषगिरी पर्वत पर बने दो मंदिरों के दर्शन करने गये।पर्वत पर 200सीढियां है,यंहा भोजन कर शौरीपुर सिद्ध क्षेञ आ गये जो भगवान नेमीनाथ की जन्मभूमि है यहां 4 मंदिरों के दर्शन कर बटेश्वर आ गये जो 2 किलोमीटर पर ही है।इस जैन मंदिर में भगवान अजितनाथ की प्रतिमा उडकर आई है,ऐसा बताया। इसके बाद मथुरा-चौरासी गये व राञी विश्राम किया ।सुबह उठकर भगवान का अभिषेक देखा तथा सभी ने भगवान अजितनाथ व जम्बूस्वामी का विधान किया तथा बडी मूर्ति पदमासन जम्मूस्वामी के दर्शन किए, चौबीसी व अन्य रत्नजडित प्रतिमाओं के दर्शन किए व भुसावल आ गये।वंहा मुनीश्री युधिष्ठिर सागर जी के दर्शन कर भगवान आदिनाथ की चमत्कारिक प्रतिमा व अन्य प्राचीन प्रतिमाओं के दर्शन किए। इस यात्रा के पुण्यार्जक तीर्थंकर ग्रुप के अध्यक्ष अन्तरराष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त वरिष्ठ होम्योपैथ डां.एम.एल जैन ” मणि “-डां शान्ति जैन” मणि “,सुपर सीनियर कोषाध्यक्ष पारस मल लुहाडिया- मंजू लुहाडिया,श्रीमति शीला जैन कोटा व श्रीमति मधु छाबडा थे।अन्त में पारसजी ने सभी का आभार व्यक्त किया।

राजाबाबू गोधा जैन गजट संवाददाता राजस्थान

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here