धर्मात्मा वह है जिसकी आत्मा में धर्म है

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उपाध्याय श्री 108 वृषभानन्द जी मुनिराज

फागी संवाददाता

श्री पार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर झोटवाड़ा जयपुर में परम पूज्य प्राकृत भाषा चक्रवर्ती अभीक्ष्ण ज्ञानोपयोगी 108 आचार्य वसुनंदी जी मुनिराज के परम प्रभावक शिष्य
प.पू. वाचना प्रमुख हर्षमनः वात्सल्यमूर्ति उपाध्याय श्री 108 वृषभानन्द जी मुनिराज ससंघ के पावन सान्निध्य में
35 दिवसीय णमोकार महाअर्चना विधान का आयोजन दिनांक 21 जुलाई से 24 अगस्त 2025, तक प्रतिदिन प्रातः 6:00 बजे से किया जा रहा हैl
इस विधान में
रविवार, 10 अगस्त 2025को मुकेश कुमार दिनेश कुमार जैन काला परिवार राधाकिशनपुरा वालो, ने विधान करवाकर पुण्यार्जन किया कार्यक्रम में नेमीसागर कॉलोनी से जे के जैन पाटनी कालाडेरा वालों ने काला परिवार के साथ दीप प्रज्जवलन एवं गुरुदेव के पाद पक्षालन कर आशीर्वाद प्राप्त किया नेमीसागर सागर से श्री जेके जैन एवं अन्य पदाधिकारीयो ने गुरुदेव को नेमीसागर कॉलोनी में प्रवास हेतु श्रीफल भेंट किया
गुरुदेव ने अपने अमृतमयी वाणी में प्रवचन देते हुए समझाया कि धर्म तो सभी करते हैं पर धर्म का मर्म क्या है हम क्रिया तो करते हैं क्रिया करने से क्या धर्म हो जाता है, अपने जीवन को अगर कर्मों को बचाना है तो उसका सही तरीका है धर्म और धर्म हमारी आत्मा में है और आत्मा को पहचानना उसको जानना और उसको देखना ही धर्म है। धर्मात्मा वह है जिसकी आत्मा में धर्म है जैसा अंदर है वैसा ही वह बाहर है आत्मा को जानना और समझना ही धर्म है और धर्म का फल तभी फलित होता है जब मन में दया और क्षमा और करुणा होगी तभी धर्म का फल सार्थक होगा समस्त कार्यक्रम पंडित श्री नमन जी जैन एवं श्री विजयेंद्र जी शास्त्री के निर्देशन में हो रहा हैऔर अंत में आए हुए सभी अतिथियों का मंदिर प्रबंध समिति ने सम्मान किया

राजाबाबू गोधा जैन गजट संवाददाता राजस्थान

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