धर्म मे तर्क आवश्यक है क्योंकि तर्क से विशुद्धता प्राप्त होती है लेकिन धर्म तर्क के साथ श्रद्धा का विषय है आचार्य सुंदर सागर महाराज
जैन पत्रकार महासंघ की आचार्य सुंदर सागर महाराज संघ सानिध्य में हुई संगोष्ठी
कलिकाल में तप की महिमा वैज्ञानिक दृष्टिकोण से विषय पर विचारों का हुआ मंथन
(जयपुर) सांगानेर जयपुर के महावीर दिगम्बर जैन मंदिर चित्रकूट कॉलोनी में विराजमान आचार्य श्री सुंदर सागर जी महाराज ससंघ के सानिध्य में जैन पत्रकार महासंघ व आचार्य सुन्दरसागर महाराज वर्षायोग समिति के संयुक्त तत्वावधान में कलिकाल में तप की महिमा वैज्ञानिक दृष्टिकोण से विषय पर संगोष्ठी व सम्म्मेलन का आयोजन हुआ। इस अवसर पर जैन पत्रकारों को आशीर्वाद देते हुए आचार्य सुन्दरसागर महाराज ने कहा कि जैन पत्रकार निस्वार्थ भाव से समाज की सेवा में संलग्न हैं जो सराहनीय ही नही अपितु प्रशंसनीय है समाज भी प्रत्येक कार्य मे इनको आमंत्रित करे यह समाज का कर्तव्य है।
जैन पत्रकार महासंघ के राष्ट्रीय महामंत्री उदयभान जैन बड़जात्या ने बताया कि तीन सत्रों में विभाजित कार्यक्रम का शुभारंभ प्रथम सत्र में प्रातः चित्र अनावरण व दीप प्रज्ववलन के साथ हुआ तो वहीं आर्यिका श्री सुलक्ष्य मति माताजी ने मंगलाचरण कर विधिवत आगाज किया। इस अवसर पर राष्ट्रीय महामंत्री उदयभान जैन ने स्वागत उद्धबोधन व राष्ट्रीय अध्यक्ष रमेश तिजारिया ने अध्यक्षीय उद्बोधन रखते हुए जैन पत्रकार महासंघ की कार्यशैली विचारधारा वह उद्देश्यों पर व्यापक प्रकाश डाला। इस अवसर पर मुख्य वक्ता डॉ रोहित जैन प्रोफेसर राजस्थान यूनिवर्सिटी ने कहा कि यह विषय अति महत्वपूर्ण विषय है जिस पर चिंतन मनन मंथन की अति आवश्यकता है। धर्म आस्था प्रदान तो विज्ञान तर्क प्रदान है,किंतु जैन सन्तों की तप साधना विज्ञान को भी राह प्रदान करती है।
परम पूज्य आचार्य श्री सुंदर सागर महाराज ने कहा कि धर्म तर्क के साथ श्रद्धा का विषय है और विज्ञान तर्क के साथ कसौटी पर कसने का विषय है। कलिकाल जिसे आधुनिक मशीनी युग व भौतिकवादी युग से जोड़कर समझा जाना चाहिए। कलिकाल में ही नही अपितु पुरातन काल से जैन सन्तों की तप साधना विज्ञान को आधार प्रदान करती रही है। वीतराग विज्ञान जीवन्त था,है और सदा रहेगा।
मुख्य संयोजक दीपक गोधा व राष्ट्रीय सांस्कृतिक मंत्री संजय जैन बड़जात्या ने बताया कि इस अवसर पर आर्यिका सुकाव्य मति माताजी ने कहा कि प्रोडक्ट अच्छा है या नही लेकिन पेकिंग और विज्ञापन आकर्षक हो तो हम भ्रमित हो जाते हैं। किंतु दिगम्बर सन्तों का तप कोई बाहरी पैकिंग व विज्ञापन नही अपितु अंतरंग में धारण कर समझने व समझाने का प्रोडक्ट है। कलिकाल में इसकी महत्वत्ता और अधिक बढ़ जाती है। द्वितीय सत्र का प्रारम्भ मंगलाचरण के साथ हुआ। इस अवसर पर संयोजक राजा बाबू जैन,चक्रेश जैन समाचार जगत, महेंद्र बैराठी, राकेश चपलमन कोटा, पूर्व विधायक सुनील जैन सागर, दैनिक जागरण की श्रीमती निधि जैन सागर, संजय जैन बड़जात्या कामां, सी एस जैन, दीपक गोधा,,विमल बज,बलवंत राय मेहता,वी बी जैन,महावीर प्रसाद जैन सरावगी,महेंद्र जैन लावा मालपुरा, मनीष जैन उदय पुर , अभिषेक जैन अनौरा, डा कल्पना जैन नोएडा, अमित जैन विजयनगर,सुरेन्द्र कुमार जैन,उदयभान जैन, मनोज जैन आदिनाथ मीडिया सहित अन्य वक्ताओं ने तप की महिमा का गुणगान करते हुए कहा कि दिगम्बर सन्तों की प्रत्येक क्रिया में विज्ञान झलकता है। आहार, विहार,ध्यान,योग व मौन साधना को विज्ञान ने तर्क सहित स्वीकार किया है।
मंच का कुशल संचालन जीतेन्द्र जैन प्रताप नगर,जीतू जैन व उदयभान जैन जयपुर ने किया। मन्दिर समिति के अध्यक्ष अनिल जैन काशीपुरा, मूलचंद पाटनी, परवेश जैन, राजेश चौधरी,राजीव जैन गाजियाबाद सहित अन्य पदाधिकारीयों ने उपस्थित जैन पत्रकारों का अभिनंदन व स्वागत किया।
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