फागी कस्बे से अर्हम योगप्रणेता मुनि प्रणम्य सागर जी महाराज स संघ का आज जयकारों के साथ रेनवाल के लिए हुआ भव्य मंगल विहार
धर्म की मूल जड़ है त्याग, धन के त्याग से धर्म की वृद्धि होती है, तथा त्याग के बिना धर्म की वृद्धि नहीं होती
अर्हम योग प्रणेता मुनि प्रणम्य सागर महाराज
फागी संवाददाता
फागी कस्बे में आचार्य विद्यासागर जी महाराज के सुयोग्य शिष्य अभिक्ष्ण ज्ञानोपयोगी प्राकृत भाषा मर्मज्ञ ,अर्हम योगप्रणेता , मुनि 108 श्री प्रणम्य सागर जी महाराज स संघ का कस्बे में दो रोज धर्म की प्रवाहना बढ़ाने के बाद आज जयकारों के साथ फागी कस्बे से रेनवाल के लिए भव्य मंगल विहार हुआ, कार्यक्रम में जैन महासभा के प्रतिनिधि राजाबाबू गोधा ने शिरकत करते हुए बताया कि आज प्रातः पार्श्वनाथ चैताल्य में अर्हम योग प्रणेता मुनि प्रणम्य सागर जी महाराज , मुनि श्री 108 विश्वाक्ष सागर जी महाराज, क्षुल्लक 105 श्री अनुनय सागर जी महाराज, क्षुल्लक श्री105 सविनय सागर जी महाराज, क्षुल्लक 105 श्री समन्वय सागर जी महाराज स संघ के पावन सानिध्य में श्री जी का अभिषेक ,महाशांति धारा के बाद आर्यिका ज्ञानमती माताजी, आर्यिका विशुद्ध मति माताजी,आर्यिका श्रुति मति , आर्यिका विज्ञा श्री माताजी, तथा आचार्य वर्धमान सागर जी महाराज, आचार्य सुनील सागर जी महाराज, आचार्य समय सागर जी महाराज,पूर्वाचार्य आचार्य विद्यासागर सागर जी महाराज, मुनि गुण सागर जी महाराज, आर्यिका सुबोध मति माताजी सहित विभिन्न जैनाचार्यों सहित विभिन्न तीर्थंकरों के अर्घ्य अर्पित कर सुख समृद्धि और खुशहाली की कामना की गई, कार्यक्रम में अग्रवाल समाज फागी के अध्यक्ष महावीर झंडा,सरावगी समाज फागी के अध्यक्ष महावीर अजमेरा ने संयुक्त रूप से बताया कि कार्यक्रम में आज मुनि प्रणम्य सागर जी महाराज ने भरी धर्म सभा में श्रृद्धालुओं को अपने मंगलमय उद्बोधन में धर्म और धन की व्याख्या करते हुए सुख- दुख के बारे में बताया कि अतीत में ऐसा कोई भी जीव नहीं है जो सुख दुख का संवेदन नहीं करता है, जीवन में कभी सुख ,कभी दुख आता रहा है, मनुष्य सुख से जीवन जीता है लेकिन सुख का एहसास नहीं होता है एवं विपत्ति आने पर दुख जरुर महसूस होता है इसके उपाय के लिए मनुष्य कोई न कोई चिंतन करता रहता है, और बताया कि गृहस्थी की सबसे ज्यादा लिप्सा धन में होती है, धन के द्वारा मनुष्य घर में सभी सुविधाएं युक्त जीवन जी सकता है, घर में सभी संसाधनों से शांति का वातावरण महसूस करता है, लेकिन सुविधाओं के अभाव में, धन के अभाव में, उसकी मानसिकता कमजोर हो जाती है, मनुष्य को धन के लिए त्याग की सख्त जरूरत है, मनुष्य को गुरुओं की वाणी , गुरुओं के उपदेश,अपने जीवन में उतारने चाहिए, तभी धन एवं धर्म बढ़ेगा तथा त्याग की भावना आएगी ओर कहा कि धन के त्याग से धर्म की वृद्धि होती है तथा त्याग के बिना धर्म की वृद्धि नहीं होती है। धर्म की मूल जड़ त्याग है, आचार्यों ने कहा है कि गृहस्थी को अपने कमाए हुए धन में से 1/4 हिस्सा दान करना चाहिए ऐसा करने से उतनी ही धन की वृद्धि होगी अतः धन की वृद्धि से धर्म और धर्म की वृद्धि से अपने आप त्याग का भाव आएगा। कार्यक्रम फागी पंचायत समिति के पूर्व प्रधान सुकुमार झंडा , मंदिर समिति के मंत्री कमलेश चौधरी तथा समाजसेवी त्रिलोक जैन पीपलू ने संयुक्त रूप से बताया कि ने बताया कि उक्त कार्यक्रम में आशा रानी पांड्या न्यूयॉर्क, सुरेंद्र -मधु पांड्या इंदौर, विजय कुमार- निशि जैन अलीगढ़, तथा प्रदीप जैन ठोलिया जयपुर सहित विभिन्न आगुंतक मेहमानों का मंदिर समिति की ओर से साफा ,तिलक, माला, दुपट्टा से भव्य स्वागत किया गया। कार्यक्रम में मुनी भक्त पारस नला ने बताया कि रामावतार, अनिल कुमार कठमाणा परिवार ने अर्हम योग प्रणेता मुनि प्रणम्य सागर को आहार चर्या करवाने का सौभाग्य प्राप्त किया, तथा कठमाणा परिवार की तरफ से सभी आगंतुक दर्शनार्थियों को श्रीफल वितरण किए गए, कार्यक्रम में दोपहर 2 बजे मुनि संघ का रेनवाल के लिए मंगल विहार हुआ।
राजाबाबू गोधा जैन महासभा मिडिया प्रवक्ता राजस्थान