देव शास्त्र गुरु अनुशीलन राष्ट्रीय विद्वत् संगोष्ठी सम्पन्न

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गुरुग्राम, हरियाणा। श्री पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन मंदिर जैकमपुरा गुरुग्राम (हरियाणा) में आचार्य श्री ज्ञानभूषण जी महाराज ससंघ के मंगल सान्निध्य में
देव शास्त्र गुरु अनुशीलन राष्ट्रीय विद्वत् संगोष्ठी 1- 2 सितंबर 2024  को दो दिवसीय आयोजन सफलता पूर्वक सम्पन्न हुआ। संगोष्ठी  पूज्य क्षु. ज्ञानगंगा माता जी का कुशल मार्गदर्शन व पं. विनोद कुमार जी जैन रजवांस के संयोजन में संपन्न हुई।
संगोष्ठी में डॉ. श्रेयांसकुमार जैन बड़ौत ने आयतन और अनायतन का स्वरूप, ब्र. जयकुमार जैन निशांत टीकमगढ़ ने गुरु पूर्णिमा का स्वरूप और हमारा कर्तव्य,पं. विनोद कुमार जैन रजवांस ने जिन पूजा का स्वरूप एवं माहत्म्य ,ब्र. डॉ. अनिल कुमार जैन जयपुर ने गुरु कौन एवं उनके प्रकार आगम के परिप्रेक्ष्य में, डॉ. धर्मेंद्र कुमार जैन जयपुर ने चारों अनुयोग और द्वादशांग जिनवाणी, डॉ अनेकांत जैन दिल्ली ने श्रुत पंचमी पर्व और श्रुताराधना,
डॉ .सुनील  जैन संचय ललितपुर ने सच्चे शास्त्र का स्वरूप एवं उनकी उपयोगिता, डॉ. पंकज जैन इंदौर ने गुरु उपासना श्रावक का आवश्यक कर्तव्य,
डॉ आशीष कुमार जैन शाहगढ़ ने पूजन विधान का अनुष्ठानात्मक महत्व, पंडित सनत कुमार जैन रजवांस ने अभिषेक और शांतिधारा एक आगमिक दृष्टि, डॉ. आशीष कुमार जैन बम्होरी, दमोह ने चतुर्विध संघ का स्वरूप और उनकी चर्या ,  पं मुकेश कुमार जैन विनम्र गुरुग्राम ने छठ आवश्यक का स्वरूप एवं औचित्य , डॉ सोनल कुमार जैन दिल्ली ने पूज्य पूजक और पूजन एक चिंतन, डॉ बाहुबली कुमार जैन इंदौर ने गुरु गरिमा और  माहत्म्य, डॉ ज्योति जैन खतौली ने श्रुत संरक्षण और संवर्धन में नारियों की भूमिका , पंडित दीपक जैन शास्त्री दिल्ली ने स्वाध्याय कब कैसे विषय पर, पं. अरविंद कुमार जैन दिल्ली ने मोक्षमार्ग में गुरु की भूमिका एक चिंतन,   विषय पर अपने शोधालेख
 प्रस्तुत किए जिन पर गहन संवाद भी किया गया।
इस मौके पर आचार्य श्री ज्ञानभूषण जी महाराज ने कहा कि अपने बच्चों का विवाह जैन कुल में ही करें। अपने बच्चों को सम्हालें। सप्ताह में एकबार बच्चों को गुरु के पास लेकर जरूर जाएं। उन्होंने कहा जो व्यवहार हमें पसंद नहीं वह दूसरे के साथ करना हिंसा है। हमें भगवान महारवीर के सिद्धांतों पर चलना है इधर-उधर नहीं भटकना है। आज शास्त्रों में मिलावट हो रही है यह चिंतनीय है। सच्चा साधु सभी प्रकार के परिग्रह से दूर रहता है, ज्ञान-ध्यान में लीन रहता है।  उन्होंने कहा कि यह संगोष्ठी बहुत अच्छी रही।  विद्वत् संगोष्ठी में मक्खन निकलकर आता है। आगे भी इसप्रकार के आयोजन करते रहें।
क्षु. ज्ञानगंगा माता जी ने कहा कि समाज को विद्वानों का लाभ लेना चाहिए। ज्ञान बहुत बड़ा दान है इसलिए ज्ञानदान में पीछे नहीं रहना चाहिए। विद्वान मुझे कल्पवृक्ष की तरह दिखाई दे रहे हैं। हमें ज्ञान लेना भी सीखना होगा।
आयोजन में जैकमपुरा मंदिर समिति के अध्यक्ष व भारतवर्षीय दिगम्बर जैन महासभा के राष्ट्रीय संयुक्त मंत्री श्री संदीप जैन ने आभार व्यक्त किया।
संगोष्ठी के समापन सत्र में भारतवर्षीय दिगम्बर जैन महासभा के श्री प्रदीप पाटनी लखनऊ प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।
इस मौके पर पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन मंदिर जैकमपुरा, गुरुग्राम के प्रधान संदीप जैन, उप प्रधान विनय जैन सीए, महामंत्री श्रेयांस जैन, सह मंत्री पारस जैन, कोषाध्यक्ष प्रदीप जैन आदि ने सभी विद्वानों को सम्मानित किया।

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