रंगीया: रंगिया में विराजित अहिंसा तीर्थ प्रणेता,असम राजकीय अतिथि आचार्य श्री प्रमुख सागर महाराज की सरल स्वभावी,विदुषी शिष्याएं श्रमणी आर्यिका परीक्षाश्री एवं प्रेक्षाश्री माताजी ने आज( शुक्रवार) को रंगिया में एक धर्मसभा में उपस्थित श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि परमात्मा ने सभी को सच्चे सुख प्राप्त करने का मार्ग बताया है। चाहे प्रतिकूल या अनुकूल कैसी भी परिस्थिति आ जाए, देव-गुरू-धर्म के प्रति हमारी श्रद्धा और निष्ठा होनी चाहिए। धर्म से ही दुख सहन करने का सामर्थ्य प्राप्त होता है। इसमें किसी भी प्रकार की कोई शंका नहीं होनी चाहिए। जिस तरह सुख के दिन सदा नहीं रहते उसी तरह दुख के दिन भी सदैव नहीं रहते। उन्होने कहा कि गुरू हमें धर्म का ज्ञान देते हैं, धर्म का बोध कराते हैं, अपनी दवा रूपी जिनवाणी से जन्म-जन्मों के आत्मा के रोग मिटाते हैं। तीर्थंकर भगवान हमें आध्यात्म की राह दिखाते हैं। देव-गुरू-धर्म के ऊपर हमारी जितनी श्रद्धा होगी उतनी ही हमारे कर्मों की निर्जरा होती चली जाती है। धर्म के प्रति हमें निष्ठावान बनना चाहिए। भक्ति भाव सहित श्रद्धा से हमें धर्म आराधना करनी चाहिए।उन्होने कहा कि जिनेन्द्र देव का दर्शन एवं साधु को वन्दन करने से सभी संचित पाप वैसे ही चले (नष्ट) जाते हैं जैसे छिद्र युक्त हाथों के बीच से जल चला जाता है। देव-गुरू-धर्म के प्रति हमारी श्रद्धा- निष्ठा और आस्था हमारे पाप-ताप और संताप को मिटाने का सामर्थ्य रखती है तथा श्रद्धापूर्वक जिनवाणी श्रवण करने से जीवन में निखार आता है। प्रचार प्रसार सहसंयोजक सुनील कुमार सेठी ने बताया कि माताजी दृय द्वारा रंगिया जैंन मंदिर में धर्म प्रभावना बह रही है।
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