मुरैना (मनोज जैन नायक) जैन तीर्थ अतिशय क्षेत्र टिकटोली में भगवान शांतिनाथ के दर्शनार्थ एवं प्राकृतिक सौंदर्य को निहारने हेतु प्रतिदिन सैलानियों का जन सैलाब उमड़ रहा है ।
जंगल में मंगल करता श्री शांतिनाथ दिगम्बर जैन परमोदय तीर्थ टिकटोली दूमदार जिला मुख्यालय मुरैना से लगभग 48 किलोमीटर एवं जौरा नगर से लगभग 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है । यह जैन तीर्थ अपनी ऐतिहासिक जैन विरासत, प्राकृतिक सौंदर्य एवं झरनों के लिए प्रसिद्ध है । यहां पहाड़ों की तलहटी में एक हजार वर्ष प्राचीन विशाल एवं भव्य जैन तीर्थ स्थापित है । यहां पर आने वाले जैन श्रद्धालुओं के लिए आवास एवं भोजनादि की समुचित व्यवस्था रहती है, लेकिन व्यवस्थाओं के लिए क्षेत्र पर आने से पूर्व क्षेत्र कमेटी के अध्यक्ष राजेंद्र भंडारी को मोबाइल 9425126097 पर सूचना देना आवश्यक होता है । क्षेत्र पर संपूर्ण भारतवर्ष से दूरदराज से लोग इस क्षेत्र पर आकर पूर्ण भक्ति, श्रद्धा के साथ भगवान शांतिनाथ जी का अभिषेक, शांतिधारा एवं पूजन करते हैं।
जैन तीर्थ क्षेत्र टिकटोली कमेटी के अध्यक्ष राजेंद्र भंडारी ने बताया कि वैसे तो वर्षभर श्रद्धालुओं का आवागमन रहता है । लेकिन बरसात के मौसम में सर्वाधिक दर्शनार्थी यहां आते है । बरसात होते ही यहां का प्राकृतिक झरना अपना रूप दिखाने लगता है । लगभग 250 मीटर की ऊंचाई से गिरती जल धारा सभी को मोहित कर देती है । चारों ओर हरियाली का वातावरण लोगों को यहां आने के लिए मजबूर करता है । पहाड़ों एवं पथरीली जमीन पर कमेटी ने लगभग 200 से अधिक वृक्ष लगाकर एक अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किया है ।
अध्यक्ष श्री राजेंद्र भंडारी ने बताया कि क्षेत्र पर केवल शुद्ध सात्विक लोगों को ही प्रवेश दिया जाता है । क्षेत्र पर मदिरापान करना, आलू, प्याज, लहसन, मांस आदि उपयोग करने पर पूर्णतः पाबंदी है । जैन सिद्धांतों के विपरीत किसी भी कार्य को करने की अनुमति नहीं होती है । रविवार या अन्य किसी भी अवकाश के दिन अधिक संख्या में उपस्थिति रहती है । यहां मंदिर जी के आसपास कोई बस्ती नहीं हैं। यहां का प्राकृतिक सौंदर्य सभी का मन मोह लेता है । इस समय बरसात का मौसम होने ओर बारिश अधिक होने के कारण यहां का सदाबहार झरना पूर्ण यौवन पर है । काफी ऊंचाई से पानी की तेज धारा सभी को बरवस ही अपनी ओर आकर्षित करती है। क्षेत्र पर विराजमान जैन तीर्थंकर मूलनायक भगवान शांतिनाथ स्वामी एवं भगवान पार्श्वनाथ स्वामी के दर्शनार्थ दूर दूर से साधर्मी बंधु बर्षभर क्षेत्र पर आते हैं। अन्य लोग भी पिकनिक मनाने के उद्देश्य से यहां आते है जिनको जैन धर्म एवं क्षेत्र कमेटी द्वारा निर्धारित सभी नियमों का कढ़ाई से पालन करना होता है ।
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