मानव तन वैसे मरने के बाद कोई किस्म का उपयोगी नहीं होता जबकि पशुओं का जीवन जीवित और मरणोपरांत भी उपयोगी होता हैं . जैसे गाय आदि जिन्दा में दूध ,गोबर, मूत्र उपयोगी होता हैं और मरने के बाद मांस, चमड़ा खाल, सींग आदि उपयोगी होता हैं .
जीवन में जो कुछ करना था किया ,पारिवारिक जिम्मेदारियों से मुक्त और अपने आत्मकल्याण के साथ लेखन साहित्य सृजन में कार्यरत .इसी दौरान मन में भाव आया कि क्यों न अपना देहदान मरणोपरांत किया जाय .
भाव का क्रियान्वयन करने में विलम्ब होने पर उससे विचलित हो जाते हैं .इस पर स्वयं निर्णय लिया और भोपाल में संचालित आयुर्विज्ञान संस्थान में पहुंचकर अपना फॉर्म भर दिया .संस्थान द्वारा प्रमाण पत्र के साथ अभिनन्दन किया गया .यह बात वर्ष २०१५ कि हैं .इसकी सम्पूर्ण जानकारी अपने परिवार जनों के साथ मित्रों को भी दी .अभिलाषा पूरी हो यह ईश्वर से प्रार्थना हैं .
विद्यावाचस्पति डॉक्टर अरविन्द प्रेमचंद जैन संरक्षक शाकाहार परिषद् A2 /104 पेसिफिक ब्लू ,,नियर डी मार्ट, होशंगाबाद रोड, भोपाल 462026 मोबाइल 09425006753
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