जयपुर – जनकपुरी -ज्योतिनगर में आचार्य शशांक सागर जी मुनिराज ससंघ द्वारा ग्रंथ वाचन , प्रवचन , स्वाध्याय व शंका समाधान आदि के माध्यम से नित्य धर्म की प्रभावना हो रही है , कार्यक्रम में प्रबंध समिति अध्यक्ष पदम जैन बिलाला अनुसार आचार्य श्री ने 3 मई शुक्रवार को अपनी देशना में कहा कि हर व्यक्ति जीवन में अपने आप को सुखी देखना चाहता है उसे दुख का सपना भी देखना अच्छा नहीं लगता है,सुखी जीवन के लिए निज को जानना ज़रूरी है , निज को जाने बिना मोक्ष पाना संभव नहीं है ।इन सब के लिए स्वाध्याय की आवश्यकता है क्योंकि स्वाध्याय आत्मा की खुराक है ।जैसे कि भोजन के मीनू से पेट नहीं भरता अर्थात् जिनवानी को देखने मात्र से स्वाध्याय नहीं हो सकता उसका अध्ययन करना ही होगा तथा अरिहंत की वाणी सुनाने वाले संतो का समागम करना होगा उन्होंने विस्तार से समझाया की देह का अंत और देहांत दोनों अलग अलग है ।देह की आसक्ति ही हमारे दु:खों का मूल कारण है। जिसकी अधिक आसक्ति है वह अधिक दु:खी है। आचार्य श्री के प्रवचन नित्य प्रातः 8.30 बजे होते है ।
राजाबाबू गोधा जैन गजट संवाददाता राजस्थान