दशलक्षण महापर्व के अष्टम दिवस पर जैन तीर्थ श्री पार्श्व पद्मावती धाम पलवल में सम्पन्न हुए धार्मिक अनुष्ठान

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प्रेस नोट
दिनांक : 04 सितम्बर 2025

दशलक्षण महापर्व के अष्टम दिवस पर जैन तीर्थ श्री पार्श्व पद्मावती धाम पलवल में सम्पन्न हुए धार्मिक अनुष्ठान

दशलक्षण महापर्व के पावन अवसर पर अष्टम दिवस उत्तम त्याग धर्म के निमित्त जैन तीर्थ श्री पार्श्व पद्मावती धाम पलवल में भव्य धार्मिक कार्यक्रम का आयोजन श्रद्धा और उत्साह के साथ सम्पन्न हुआ। प्रातःकाल मंगलप्रभात वंदना के पश्चात श्रीजी मंदिर में भूगर्भ से अवतरित आदि ब्रह्मा प्रथम तीर्थंकर भगवान श्री आदिनाथ का पंचामृत अभिषेक और शांतिधारा विधिवत सम्पन्न की गई। भक्तों ने भक्ति भावना से मंत्रोच्चार और स्तुति करते हुए भगवान के श्रीचरणों में पुण्य का संचार किया। इसके उपरांत श्रावक-श्राविकाओं द्वारा उत्तम त्याग धर्म की विशेष पूजा अर्चना की गई, जिसमें त्याग के आदर्श को आत्मसात करने का संकल्प लिया गया।

इस अवसर पर उपस्थित श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए नितिन जैन ने कहा कि त्याग धर्म केवल बाहरी भौतिक वस्तुओं के परित्याग तक सीमित नहीं है, बल्कि वास्तविक त्याग तो भीतर बसे विकारों और आसक्तियों को छोड़ने में है। जब मनुष्य मोह, क्रोध, लोभ, काम और अहंकार जैसे आंतरिक शत्रुओं को त्यागता है, तभी उसकी आत्मा निर्मल होकर उन्नति की ओर अग्रसर होती है। त्याग धर्म हमें यह सिखाता है कि जीवन में केवल संग्रह और भोग ही सब कुछ नहीं है, बल्कि संयम, संतोष और परोपकार ही जीवन का वास्तविक आभूषण हैं। उन्होंने कहा कि दशलक्षण महापर्व आत्मशुद्धि और आत्मजागरण का पर्व है। इन दस दिनों में प्रत्येक दिन एक विशेष धर्म पर चिंतन और साधना की जाती है, जिनमें से त्याग धर्म सबसे कठिन किंतु सबसे अनिवार्य माना गया है। त्याग के बिना आत्मा का कल्याण और मोक्षमार्ग पर प्रगति संभव नहीं।

नितिन जैन ने आगे कहा कि आज की भौतिकतावादी जीवनशैली में त्याग का महत्व और भी बढ़ जाता है। यदि समाज का प्रत्येक व्यक्ति थोड़ी-सी भी अपनी वासनाओं और स्वार्थों का त्याग कर दे तो न केवल व्यक्तिगत जीवन में शांति और संतोष का अनुभव होगा बल्कि पूरे समाज में सहयोग, करुणा और नैतिकता का वातावरण बनेगा। त्याग धर्म का पालन ही वास्तविक धर्म पालन है और यही साधक को आंतरिक बल और आत्मिक उन्नति प्रदान करता है।

धार्मिक अनुष्ठानों में बड़ी संख्या में श्रद्धालु परिवारों सहित उपस्थित रहे। सभी ने गहन श्रद्धा और भावनाओं के साथ पूजा, अभिषेक और शांतिधारा में भाग लिया और दशलक्षण महापर्व की मंगलकामनाएँ व्यक्त कीं। वातावरण में भक्ति, त्याग और आत्मशुद्धि का अद्भुत संगम देखने को मिला।

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