डडूका नगरी में बही ज्ञान गंगा: मुनि शुद्ध सागरजी महाराज ओर मां विज्ञान मति संसंघ ने ला दी प्रवचनों की बहार..

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डडूका नगरी में बही ज्ञान गंगा: मुनि शुद्ध सागरजी महाराज ओर मां विज्ञान मति संसंघ ने ला दी प्रवचनों की बहार………………
बारिश की रिमझिम के साथ धर्म नगरी डडूका संत समागम की जैसे बहार ही आ गई है। प्रातः मुनि शुद्ध सागरजी महाराज संसंघ के मांगलिक सान्निध्य में पार्श्वनाथ जिनालय में शांतिधारा संपन्न हुई। आयोजन में विज्ञान मति माताजी भी आशीर्वाद देती रही।
प्रातः 8.30पर स्थानीय पार्श्वनाथ सभागार में दोनों ही संघों के मांगलिक सान्निध्य में विशाल धर्मसभा आयोजित हुई जिसमे जैन समाज डडूका, जैन युवा समिति डडूका, प्रभावना महिला मंडल डडूका तथा दिगंबर जैन पाठशाला डडूका ने हिस्सा लिया। समाजजनों ने माताजी विज्ञान मति जी तथा मुनि श्री शुद्ध सागरजी महाराज को श्रीफल भेंट कर डडूका में प्रवासरत रहने आग्रह किया।
सभा को संबोधित करते हुए विज्ञान मति माताजी ने कहा की व्यक्ति को विवाह के बाद भी एक ही पत्नी का नियम लेना चाहिए, इससे भी बड़ा पुण्य अर्जित किया जा सकता है। जब आप दूसरा विवाह करेंगे ही नहीं तो फिर एक ही पत्नी का नियम पालन कर पुण्य अर्जन क्यों नहीं करते। माताजी ने नियमों का महत्व बताते हुए कहा कि इन्हीं की बदौलत अंजन चोर को, सीता माता को अग्नि परीक्षा में, सती सोमा को नाग को पुष्पहार में बदलने में, सती अंजना को को अपने सतीत्व की रक्षा में मदद मिली थी।
इसी क्रम में मुनि शुद्ध सागरजी महाराज ने भी माताजी की विचारधारा को आगे बढ़ाते हुए कहा कि रावण ने माता सीता का धोखे से अपहरण किया था लेकिन उनको छुआ तक नहीं, फिर भी वो नर्क में गया। है भव्य जीवो रावण जैसा जीव नर्क भोग रहा है फिर आपके कर्म तो उससे भी खराब है फिर सोचलों आपकी क्या दशा होनी है।
आहार के बाद शाम को विज्ञानमति माताजी आंजना के लिए तथा शुद्ध सागरजी महाराज परतापुर के लिए विहार कर दिया। डडूका जैन समाज ने दोनों ही संघों को भावभीनी विदाई दी। उल्लेखनीय है मुनि श्री शुद्ध सागरजी महाराज का चातुर्मास बड़ौदिया तथा विज्ञानमती जी माताजी का चौमासा परतापुर में होना तय हुए हैं। दोनों ही संघों का चातुर्मास वागड़ एवं बांसवाड़ा जिले में होने से जैन समाज में अपार हर्ष छा गया है।

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