यमुनानगर, 6 अप्रैल (डा. आर. के. जैन)::
डीएवी गर्ल्स कॉलेज के इंस्टीट्युशनल इनोवेशन काउंसिल व गृह विज्ञान विभाग के संयुक्त तत्वावधान में बेक एंड ग्रो विषय पर वर्कशाप का आयोजन किया गया। इंस्टीट्यूट ऑफ होटल मैनेजमेंट भंभौली से आए असिस्टेंट लेक्चर मुकेश कुमार ने छात्राओं को विभिन्न प्रकार के बेकरी प्रोडक्ट बनाने के बारे में थ्यूरी व प्रैक्टिल नॉलेज प्रदान की। कॉलेज प्रिंसिपल डॉ सुरिंद्र कौर, आइसीसी कनवीनर विवेक व गृह विज्ञान विभाग अध्यक्ष पारूल सिंह ने संयुक्त रूप से कार्यक्रम की अध्यक्षता की। वर्कशाप के दौरान छात्राओं को ब्रेड बन, एप्पल पाई, आइसिंग के साथ केक, गट्टे पुलाव, स्विस रोल, पैटीज, पालक और मशरूम सूप, कचौरी, कुकीज, चॉकलेट ब्राउनी सहित अन्य चीजें बनानी सीखाई गई। इसके अलावा सभी चीजों को किस प्रकार से टेबल पर सजाया जाता है, इसके बारे में भी विस्तार से बताया। मुकेश कुमार ने कहा कि रसोई में हम सभी बुनियादी खाना पकाने हैं। जबकि बेकरी व्यावसाय को शुरू करने के लिए बेकिंग तकनीकों में महारत हासिल करना जरूरी है। जिसके लिए हमें ऑवन की जरूरत होती है। बेकिंग व्यंजनों के लिए फ्राइंग, रोलिंग और आटा तैयार करने का व्यावहारिक अनुभव भी जरूरी है। उन्होंने कहा कि बेकिंग प्रोडक्ट तैयार करते समय मीठे और नमकीन के स्वाद में भी संतुलन जरूरी है। ऑवन में बेहतर प्रोडक्ट तैयार करते हुए समय और तापमान नियंत्रण में भी कुशलता जरूरी है। किस प्रोडक्ट में किस प्रकार के मसाले इस्तेमाल किए जाने हैं, इसकी भी जानकारी होनी चाहिए। प्रोडक्ट तैयार करने के बाद उसकी प्लेटिंग और प्रेजेंटेशन के बारे में नॉलेज होनी चाहिए। डॉ सुरिंद्र कौर ने कहा कि छात्राओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिहाज से बेक एंड ग्रो वर्कशाप का आयोजन किया गया। छात्राएं बेकरी प्रोडक्ट बनाना सीखकर घर से भी कोई स्टार्टअप शुरू कर सकती हैं। इससे जहां उसकी आय में वृद्धि होगी, वहीं वे परिवार को भी आर्थिक मदद प्रदान कर सकंेगी। कार्यक्रम के सफल आयोजन में विभूति राणा, आंचल कांबोज, मानसी शर्मा व रूपल ने सहयोग दिया।
फोटो नं. 1 एच.
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मोटापा एक समस्या, समाधान है आपके अपने ही पास
यमुनानगर, 6 अप्रैल (डा. आर. के. जैन)::
विश्व स्वास्थ्य संगठन के साथ-साथ भारत में भी अनेकों स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े लोग और संस्थाएं समय-समय पर भिन्न-भिन्न रोगों के सर्वे करवाते रहते हैं। हाल ही में समूचे विश्व के स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने मोटापे पर चिंता जताई है। भारत में की गई एक गणना के अनुसार लगभग 40 प्रतिशत से अधिक आबादी मोटापे के लक्षणों से सुसज्जित पाई गई है। इसमें भी महिलाओं की संख्या पुरुषों की अपेक्षा अधिक है। शहरों में गांवों की अपेक्षा मोटापा अधिक पाया जाता है। डा. प्राशुका जैन ने बताया कि मोटापे के पीछे खानपान की अनियमितता मुख्य कारण है। मैदे से बने सभी खाद्य पदार्थ जैसे बिस्कुट, ब्रेड चाऊमिन समोसे, कचोरी, भटूरे आदि का सेवन शरीर से मल निष्कासन की प्रक्रिया को रोकने का कार्य करता है। मैदे को तो पाचन मार्ग का सीमेंट समझना चाहिए। मोटापे का दूसरा मुख्य कारण है प्राकृतिक अवस्था में खाद्य पदार्थों का सेवन करने के स्थान पर उन्हें तेल और मिचों आदि के साथ पका कर खाना है। पकाने की आधुनिक कलाएं प्राकृतिक वस्तुओं को भी अम्लीय बना देती हैं। अम्ल को अंग्रेजी में एसिड कहते हैं, एसिड से ही गैस बनती है, पाचन क्रिया में बाधा पहुंचती है, लिवर पर बोझ बढ़ता है और इन सबके परिणाम स्वरूप मोटापा बढ़ने लगता है। इसके बाद डिब्बाबंद अर्थात लम्बी अवधि के लिए पैक की गई चीजों से भी लिवर पर बोझ और मोटापे के कारक पैदा होते हैं। लम्बी अवधि तक खाद्य वस्तुओं को बनाए रखने के लिए उनमें संरक्षण के नाम पर कई प्रकार के केमिकल डाले जाते हैं जो स्वास्थ्य के लिये हानि कारक होते है। विश्व स्तर पर कुछ दशक पहले भुखमरी एक बहुत बड़ी समस्या थी। विश्व की सभी सरकारों ने मिलकर भुखमरी का दौर तो लगभग समाप्त कर दिया, परन्तु अब मोटापा एक बहुत बड़ी समस्या बनता जा रहा है। भुखमरी समाप्त करने के लिए प्राकृतिक उत्पादन बढ़ाए जाते तो अच्छा था, परन्तु मैदे और तेल जैसी चीजों के आविष्कार ने भुखमरी कम करके मोटापा बढ़ाना प्रारंभ कर दिया है। मोटे व्यक्तियों में लगभग 80 प्रतिशत लोग रोगों से ग्रस्त होते हैं और शेष 20 प्रतिशत लोग आंतरिक रूप से रोगी होने की प्रक्रिया में ही रहते हैं। इससे यह स्पष्ट होता है कि मोटापा पूरी तरह से रोगों का जनक है। हमें पोषक तत्वों की पूर्ति करने वाला भोजन करना चाहिए, जैसे फल, सलाद और भाप से पकाई गई सब्जियां आदि। हमें भोजन में एसिड बनने की प्रक्रिया पर पूरी रोक लगानी चाहिए अर्थात तेल और मिर्चों का पूर्ण बहिष्कार। उन्होंने आगे बताया कि प्रतिदिन अधिक से अधिक शारीरिक कार्यों का करना जैसे न्यूनतम 5.6 किलोमीटर पैदल चलना, साइकिल चलाना, यथासंभव योग, प्राणायाम आदि क्रियाओं को करना। इन सबसे भोजन की ऊर्जा प्रतिदिन खर्च होती चली जाएगी और पिछला मोटापा भी कम होने लगेगा। सभी परिवारों, शिक्षण संस्थाओं से लेकर सभी सरकारों को यह ध्यान रखना चाहिए कि यदि देश के नागरिक स्वस्थ होंगे तो बीमारियों पर खर्च होने वाला भारी बजट बचेगा। इसके अतिरिक्त स्वस्थ नागरिक हो देश के कार्यों में अच्छी तरह से सहयोग करके राष्ट्रीय आय बढ़ाने का कार्य कर सकते हैं। स्वस्थ नागरिकों से ही देश की अर्थव्यवस्था विकास की ओर बढ़ सकती है, जिसमें बीमारियां और विशेष रूप से मोटापा एक बहुत बड़ी रुकावट है।
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जानकारी देते डा. प्राशुका जैन ………………(डा. आर. के. जैन)