स्वयं सेवियों ने की गऊ माता की सेवा, गऊशाला पहुँचाया 2 हजार किलो चारा
यमुनानगर, 19 फरवरी (डा. आर. के. जैन):
चैरिटेबल ग्रुप के सौजन्य से गऊ वंशज सेवा कार्यक्रम का आयोजन अम्बाला रोड स्थित गऊशाला के प्रांगण में किया गया, जिसमें रघुनाथ पुरी निवासी पारस जैन दर्शना जैन परिवार के द्वारा गऊशाला में चारा व अन्य खाद्य सामग्री पहुंचाई गई। कार्यक्रम की अध्यक्षता पंकज वर्मा ने की तथा संचालन जितेन्द्र सोई ने किया। रवि कुमार ने बताया कि मूक प्राणियों की सेवा को सबसे बड़ी सेवा कहा जाता है, और यह भी माना जाता है कि इन बेजुबानों की सेवा करने से सभी प्रकार के कष्ठ व पीड़ा दूर होती है, क्योंकि मनुष्य अपने दुख-दर्द व जरूरतें कह कर व बता कर पूरी करा लेता है किन्तु बेजुबान पशु अपनी तकलीफ किसी को नहीं बता पाते है। ऐसे में हमारा कर्तव्य बनता है कि हम अधिक से अधिक सेवा कार्य कर इन प्राणियों की पीड़ा को कम करने का प्रयास करे। ध्रुव अरोड़ा ने कहा कि चैरिटेबल ग्रुप के द्वारा गऊ वंशजों की सेवा कार्य निरंतर जारी है, इसी श्रंखला में मूक प्राणी सेवा कार्यक्रम का आयोजन रघुनाथ पुरी निवासी पारस जैन दर्शना जैन परिवार के सहयोग से अम्बाला रोड स्थित गऊशाला प्रांगण में किया गया, जिसमें ग्रुप के सेवादारों ने गऊ वंशजों की सेवा की और पुण्य कमाया। कार्यक्रम में दानी परिवार द्वारा पशुओं के लिये 2 हजार किलो चारे सेवा की गई। अंकुर जैन ने बताया कि पशु-पक्षी प्रकृति का साकार रूप है, इसका अस्तित्व निश्चित रूप से मानव मात्र के लिये शाश्वत, प्रेरत व मंगलमय है, क्यों धर्म के अनुसार मानव मात्र के अतिरिक्त अन्य जीवों पर दया करना भी श्रेष्ठ व आवश्यक कार्य है। गायों के लिये चारा लाने के लिये वाहन की सेवा भी निशुल्क प्रदान की जा रही है। उन्होंने यह भी कहा कि हम सभी को प्रयास करना चाहिये कि अपने व अपने परिवार सदस्यों के जन्मदिन, शादी की सालगिरह व अन्य अवसरों पर गायों की सेवा के लिये सहयोग देकर पुण्य के भागीदार बने। इस अवसर पर प्रियंका अग्रवाल, मुकेश नागपाल, राजीव सूध, विनोद अरोड़ा, अमन भंडारी, अमन सोई, मोन्टी डांग, पारस, शिवम, शुभम, यश, निपुन, रजत आदि ग्रुप सदस्यों ने सहयोग दिया।
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गायों को चारा खिलाते व सेवा कार्य करते स्वयंसेवक………..(डा. आर. के. जैन)
महिलाओं के हृदय को अवश्य रखे स्वास्थ्य, न करते लापरवाही
जोखिम कारकों के बारे में जागरूक होना और उचित निवारक उपाय है आवश्यक
यमुनानगर, 19 फरवरी (डा. आर. के. जैन):
एक महिला का दिल काम करने के तरीके और शरीर पर काम करने वाले हार्मोन के प्रभाव में अपने पुरुष समकक्ष से भिन्न होता है। इसके अलावा, शारीरिक रूप से महिलाओं में पुरुषों की तुलना में पतली रक्त वाहिकाएं और छोटे हृदय कक्ष होते हैं, जिससे हृदय संबंधी बीमारियों के बढ़ने और प्रकट होने के तरीके में अंतर होता है। अकू92 कार्डियक क्लिनिक यमुनानगर की चिकित्सा सलाहकार डा. प्रशुका जैन, एम. बी. बी. एस., क्लिनिकल कार्डियोलॉजी में फैलोशिप ने बताया कि वास्तव में पुरुषों की तुलना में महिलाओं में हृदय संबंधी लक्षण लगभग 10 साल बाद विकसित होते हैं। हृदय रोगों की प्रस्तुति के बारे में बात करें तो दिल का दौरा आमतौर पर सीने में दर्द के साथ प्रकट होता है, लेकिन महिलाओं में यह बाएं स्तन, गर्दन, गले, कंधे, जबड़े में असुविधा के रूप में प्रकट हो सकता है। या दोनों हाथ, असामान्य थकान, सांस की तकलीफ, अपच या तेज हृदय गति, बिना किसी अन्य ज्ञात कारण के ऐसे लक्षणों को पहचाना जाना चाहिए और तुरंत चिकित्सा सहायता लेनी चाहिए। उन्होंने बताया कि जैसा कि उल्लेख किया गया है, शरीर पर हार्मोन के प्रभाव महत्वपूर्ण हैं, एस्ट्रोजन महिलाओं में हार्मोन है जो हृदय रोगों को रोकने में मदद करता है। जैसे-जैसे महिलाएं रजोनिवृत्ति तक पहुंचती हैं, हार्मोन का स्तर कम हो जाता है, जिसके परिणामस्वरूप कोलेस्ट्रॉल के स्तर में परिवर्तन हो सकता है और कई अन्य शारीरिक परिवर्तन हो सकते हैं। इस संक्रमण के दौरान हृदय संबंधी स्वास्थ्य के लिए अपने पारिवारिक डॉक्टर से परामर्श अवश्य करना चाहिये। उन्होंने कहा कि आम तौर पर कहा जाता है कि रोकथाम इलाज से बेहतर है, महिलाओं में हृदय रोगों के जोखिम कारकों के बारे में जागरूक होना और उचित निवारक उपाय करना महत्वपूर्ण है। जोखिम कारकों में उच्च रक्तचाप, मधुमेह, मोटापा, उच्च कोलेस्ट्रॉल और व्यायाम की कमी शामिल हैं। यदि मोटापा और धूम्रपान जैसे अन्य जोखिम कारक भी मौजूद हों तो मौखिक गर्भनिरोधक लेने वाली महिलाओं में हृदय रोगों का खतरा बढ़ जाता है। हृदय रोगों की रोकथाम के लिए उचित दवाएं और स्वस्थ आहार योजना लेकर मधुमेह, कोलेस्ट्रॉल, उच्च रक्तचाप पर पर्याप्त नियंत्रण महत्वपूर्ण है। इसके अलावा सप्ताह में कम से कम 5 दिन मध्यम शारीरिक व्यायाम और नियमित जांच से हृदय संबंधी बीमारियों को रोकने में मदद मिल सकती है।
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जानकारी देते डा. प्राशुका जैन…………………(डा. आर. के. जैन)