मुरैना (मनोज जैन नायक) भारत की पहली महिला माइको आर्टिस्ट नीरू छाबड़ा जयपुर ने चावलों पर गणाचार्य श्री विराग सागर जी का अंतिम उपदेश लिखकर जैन श्रावकों और युवा पीढ़ी को जैन धर्म की महिमा और साधूओं की कठोर चर्या बताने की शानदार पहल की है।
प्रदीप छाबड़ा द्वारा दी गयी जानकारी के अनुसार आचार्य श्री विशुद्ध सागर जी के शिष्य मुनि श्री समत्व सागर जी ने अपने जयपुर चातुर्मास के दौरान कलाकार निरू छाबड़ा को आशीर्वाद देते हुए आचार्य श्री के अंतिम संदेश को चावलों के माध्यम से जन जन तक पहुंचाने की बात कही।
स्वतंत्र पत्रकार स्वाति जैन हैदराबाद द्वारा प्रदत्त जानकारी के अनुसार गणाचार्य विराग सागर जी ने अपना अंतिम उपदेश अपनी समाधि से एक दिन पूर्व 3 जुलाई 2024 को दिया था जिसमें उन्होंने स्पष्ट शब्दों में अपने 500 शिष्यों, प्रशिष्यों के विराट संघ के संचालन की जिम्मेदारी अपने सबसे योग्य और प्रभावक शिष्य कुशल श्रृमणाचार्य विशुद्ध सागर महाराज को सौंपी थी और अपने संदेश में उन्होंने विशुद्ध सागर को अपने शिष्यों व कनिष्ठ साधूओं का प्रेम व वात्सल्य पूर्वक ध्यान रखने की बात कही व अपने गुरु आचार्य श्री विमल सागर जी की परंपराओं को बिना कोई शिथिलाचार अपनाये पालन करने की सलाह दी।
कलाकार निरू छाबड़ा ने यह संदेश लिखने के लिए 541 चावलों का प्रयोग किया है और चावलों की सुंदर कृति तैयार कर उसे कलश के डिजाइन में ढाला है।
जानी मानी आर्टिस्ट निरू छाबड़ा इससे पहले भक्तामर स्तोत्र, गायत्री मंत्र, महावीर स्तंभ ,गीता सार व एक चावल पर णमोकार मंत्र जैसे हर धर्म के सार व मंत्रों को भी अपने चावल रुपी कैनवास पर सजाकर
धर्म प्रभावना कर चुकी हैं और इनके इस कार्य की समय समय पर देश के राष्ट्रपति व प्रधानमंत्रियों, व देश विदेश की बड़ी हस्तियों ने सराहना की है।
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