ललितपुर। मुनि श्री सुप्रभसागर जी महाराज के संघस्थ ब्रह्मचारी राकेश भैया जी के प्रथम केशलोंच मुनि श्री सुप्रभ सागर जी, मुनि श्री प्रणतसागर जी के कर कमलों से गुढ़ा में संपन्न हुए। उल्लेखनीय है कि मड़ावरा निवासी ब्र. राकेश भैया मुनिश्री से 2019 में मुनिश्री के मड़ावरा चातुर्मास में जुड़े थे। तब से निरंतर मुनि संघ में रहकर निरन्तर साधना में आगे बढ़ रहे हैं। 2022 में मुनिश्री के सान्निध्य में कारीटोरन में सम्पन्न पंचकल्याणक में उन्हें माता-पिता बनने का भी सौभाग्य प्राप्त हुआ था। प्रथम केशलोंच देख श्रद्धालु भाव-विभोर हो उठे।
केशलोंच जैन धर्म की कठिन तपस्या :
उत्कर्ष समूह के निर्देशक डॉ सुनील संचय ने बताया कि जैनधर्म में केशलोंच एक कठिन साधना है। जैन साधु अपने सिर, दाढ़ी, मूंछ के बाल हाथों से घास-फूस की तरह उखाड़ फेंकते हैं। ये उनकी साधना का अनिवार्य अंग होता है। केशलोंच वाले दिन साधक पूर्णतः उपवास करते हैं। केशलोंच के यह पल देखते ही कई श्रद्धालु भाव विभोर हो जाते हैं।
मोक्ष कल्याणक व विश्व शांति महायज्ञ के साथ संपन्न हुआ गुढ़ा पंचकल्याणक महोत्सव
मोक्ष प्राप्ति हर जीव के लिए उच्चतम लक्ष्य : मुनि श्री सुप्रभसागरजी
ललितपुर । ग्राम गुढ़ा में आचार्य श्री विशुद्धसागर जी महाराज के परम प्रभावक शिष्य श्रमण मुनि श्री सुप्रभसागर जी महाराज, श्रमण मुनि श्री प्रणतसागर जी महाराज, आर्यिका श्री विजिज्ञासामती माता जी ससंघ के सान्निध्य में चल रहे श्रीमज्जिनेन्द्र पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव का समापन आखरी दिन तीर्थंकर भगवान के मोक्षकल्याणक के साथ भारी आस्था श्रद्धा के साथ सम्पन्न हो गया। विधि विधान की क्रियाओं को प्रतिष्ठाचार्य डॉ विमल कुमार जैन जयपुर ने सम्पन्न कराया।
जिन बिम्ब स्थापना की गई। इस मौके पर जिनालय पर कलशारोहण भी बड़े ही उत्साह से किया गया।
मोक्षकल्याणक की क्रियाएं की गईं जिसमें प्रातः पात्र शुद्धि ,अभिषेक,शन्तिधारा,नित्य महापूजन के साथ आरंभ हुयीं। तीर्थंकर भगवान को प्रातः मोक्ष की प्राप्ति हुई। जैसे ही तीर्थंकर भगवान के मोक्ष जाने की घोषणा प्रतिष्ठाचार्य ने की उपस्थित सैकड़ों भक्तों ने जयकारों से आकाश गुंजायमान कर दिया, लोग खुशी से नृत्य करने लगे। विविध प्रकार के वाद्ययंत्र बजाए गए। मोक्ष कल्याणक की पूजन की गई। विश्व शांति की कामना के साथ विश्व शांति महायज्ञ पूर्णाहुति हवन किया गया। शांतिपाठ और विसर्जन भी किया गया।
इस मौके पर मुनि श्री सुप्रभ सागर जी मुनिराज ने अपने प्रवचन में कहा कि मोक्ष का अर्थ है आठ कर्मों से मुक्ति। जैन दर्शन के अनुसार मोक्ष प्राप्त करने के बाद जीव (आत्मा) जन्म मरण के चक्र से निकल जाता है और लोक के अग्रभाग सिद्धशिला में विराजमान हो जाती है। सभी कर्मों का नाश करने के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती हैं। मोक्ष के उपरांत आत्मा अपने शुद्ध स्वरूप अनन्त ज्ञान, अनन्त दर्शन, अनन्त सुख, और अनन्त शक्ति में आ जाती है। ऐसी आत्मा को सिद्ध कहते है। मोक्ष प्राप्ति हर जीव के लिए उच्चतम लक्ष्य माना गया है। वास्तव में मोक्षगमन जैन दर्शन के चिंतन की चरमोत्कृष्ठ आस्था है ।
आयोजन को सफल बनाने में महोत्सव की आयोजन समिति व उप समितियों, विभिन्न स्वयंसेवी संगठनों का उल्लेखनीय योगदान रहा।इस दौरान सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे।
पंचकल्याणक महोत्सव के पात्र माता- पिता सेठ श्यामलाल जैन-विमला जैन, सौधर्म इंद्र प्रदीप संघी टीकमगढ़, कुबेर इंद्र आनंद जैन, महायज्ञ नायक संजीव जैन शास्त्री के साथ ही धर्मेश जैन, अखिलेश शास्त्री, अनिल शास्त्री, अरुण जैन, अभय जैन, महेश जैन, डॉ देवेंद्र जैन, राजेश जैन, डॉ भरत जैन, जितेंद्र जैन, प्रदीप जैन, प्रकाश, दीपेश जैन, राहुल जैन आदि बड़ी संख्या में प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।
आयोजन में ललितपुर, महरौनी , मड़ावरा, सोजना, बड़ागांव, टीकमगढ़, घुवारा , नेकौरा, नवागढ़, मैनवार, शाहगढ़ आदि स्थानों से बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे।
फोटो कैप्सन : 1. मुनि श्री सुप्रभ सागर जी महाराज ब्र. राकेश भैया का प्रथम केशलोंच करते हुए।
2. पंचकल्याणक प्रतिष्ठा के बाद मंदिर जी में विराजमान प्रतिष्ठित जिन प्रतिमा
3. श्रीजी की शोभायात्रा में उमड़े श्रद्धालु। अन्य फोटोज पंचकल्याणक महोत्सव समापन