विशेषज्ञों की मानें तो शरीर की बनावट प्रकृति की देन है। इनमें अंतर हो सकता है। किसी की नाक बड़ी होती है तो किसी की त्वचा सांवली होती है। साथ ही चेहरे पर दाग-धब्बे मोटापा आदि भी बॉडी डिस्मॉर्फिक डिसऑर्डर के कारण हो सकते हैं।
आधुनिक समय में हर कोई खूबसूरत दिखना चाहता है। इसके लिए लोग सभी जतन करते हैं। नाना प्रकार के ब्यूटी प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करते हैं। इसके बावजूद कुछ लोग मन मुताबिक खूबसूरत नहीं दिख पाते हैं। इससे उनके मन में कुंठा पैदा होने लगती है जो विकार में तब्दील हो जाता है। इस विकार को बॉडी डिस्मॉर्फिक डिसऑर्डर कहते हैं। इस विकार में व्यक्ति हर समय शरीर के केवल उस अंग या दोष के बारे में सोचता है जो उसके मन मुताबिक नहीं है।
खूबसूरत दिखने के लिए अपने अंगों में दोष निकालना बॉडी डिस्मॉर्फिक डिसऑर्डर है। विशेषज्ञों की मानें तो शरीर की बनावट प्रकृति की देन है। इनमें अंतर हो सकता है। किसी की नाक बड़ी होती है, किसी के होंठ मोठे होते हैं तो किसी की त्वचा सांवली होती है। साथ ही चेहरे पर दाग-धब्बे, मोटापा आदि भी बॉडी डिस्मॉर्फिक डिसऑर्डर के कारण हो सकते हैं। इनके लिए हर समय अपने शरीर को देखना एक तरह की सनक है। अगर आपमें भी इस तरह की कमी है, तो इससे बचने की कोशिश करें।
डिस्मॉर्फिक डिसऑर्डर के लक्षण
-अपने शरीर की बनावट की तुलना किसी अन्य से करना
-अपने अंगों में दोष निकालना
-शरीर की बनावट से द्वेष करना
-नकारात्मक सोच रखना
-अपने चेहरे को ढंककर रखना
-एकांत जीवन बिताना
बचाव
-खुद से प्यार करें और नकारात्मक सोच से दूर रहें।
-अन्य से तुलना करने से बचें।
-अपने आप में अच्छाई ढूंढने की कोशिश करें।
-पसंद की चीजें करें।
-सोशल मीडिया पर अपनी तस्वीरें जरूर शेयर करें।
-दोस्तों के साथ समय बिताएं।
-किसी मनोवैज्ञानिक चिकित्सक से भी सलाह ले सकते हैं।
-कुछ नया सीखने की कोशिश करें।
-अपने आप को व्यस्त रखें।
बॉडी डिस्मार्फिक डिसऑर्डर कुछ स्थितियों में गंभीर जटिलताओं का भी कारण बन सकती है। ऐसे में समय पर इसका निदान और इलाज बेहद आवश्यक माना जाता है। उदाहरण के लिए, बॉडी डिस्मॉर्फिक डिसऑर्डर के कारण इस तरह की जटिलताओं का सामना करना पड़ सकता है।
गंभीर डिप्रेशन या चिंता बना रहना।
आत्मघाती विचार आना।
सामाजिक भय या लोगों के सामने जाने में शर्मिंदगी महसूस होना।
ऑब्सेसिव कंपल्सिव डिसऑर्डर (ओसीडी) की समस्या।
इस विकार के उपचार के लिए आवश्यकतानुसार कॉग्नेटिव बिहेवियर थेरपी या कुछ दवाएं, अथवा दोनों दी जा सकती हैं। सेलेक्टिव सेरोटोनिन रूप्टेक इनहिबिटर (एसएसआरआई) दवाइयों को इस समस्या के उपचार में प्रयोग में लाया जाता है। हालांकि हर रोगी को दवा की आवश्यकता हो, ऐसा जरूरी नहीं है
विद्यावाचस्पति डॉक्टर अरविन्द प्रेमचंद जैन संरक्षक शाकाहार परिषद् A2 /104 पेसिफिक ब्लू ,नियर डी मार्ट, होशंगाबाद रोड भोपाल 462026 मोबाइल ०९४२५००६७५३
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