भोगों की वस्तुओं का त्याग करने से आत्मा का कल्याण होगा /जैनाचार्य श्रुतेशसागर जी महाराज/

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नैनंवा 4 अगस्त 2024 रविवार प्रातः 8.30 बिसपथ शांति वीर धर्म स्थल पर जैनाचार्य श्रुतेशसागर
महाराज ने धर्म सभा को संबोधित करते हुए बताया
मनुष्य का जीवन भोगों के लिए प्राप्त नहीं हुआ बल्कि अपनी आत्मा का कल्याण करने के लिए होना बताया
बिना पानी के मनुष्य की प्यास नहीं बुझती ठीक उसी प्रकार अपनी आत्मा का कल्याण के लिए जिनवाणी का ज्ञान होना जरूरी है
आज दिगंबर साधु की चर्या व साधना बहुत कठिन तो है पर साधना तप चर्या देखकर संसार के लोग बहुत कुछ धर्म की क्रिया करने लगे हैं
मुनि ने धर्म की क्रिया संयम साधना तप को जीवन के अंधेरे से निकलकर प्रकाश में ले जाने वाला मार्ग बताया
मुनि ने बताया बाजार में बहुत सी वस्तुएं अशुद्ध होती है उन्हें खाने से स्वास्थ्य बिगड़ जाता है अशुद्ध वस्तुओं का त्याग करना ही आत्मा में शुद्धता होना है
भावो में स्थिरता का होना बहुत जरूरी है
मुनि श्री सविज्ञसागर जी महाराज ने बताया कि मनुष्य भगवान की स्थिरता करने के लिए समय नहीं निकल रहा
आत्मा में ईश्वर का स्मरण करना बहुत जरूरी है आज मनुष्य किसी भी चीज पर संतोष नहीं है मुनि ज्ञान की बात बताते हैं उसको अपने जीवन में उतारने व चलने पर ही धर्म की प्राप्ति होगी
उन्होंने यह भी बताया कि मनुष्य स्वयं की क्रिया व चर्या पर ध्यान न देकर दूसरों की तरफ उंगली उठा रहा है जबकि पहले स्वयं को अशुद्ध वस्तुओं का त्याग करने पर लाभ होगा
मुनि ने मनुष्य का जीवन एक मधुमक्खियां के छज्जे के समान बताया उसमें से निकलने के लिए परिणाम निर्मल होना ही स्थिरता को बढ़ावा है
अपने भावो को शुद्ध होना ही धर्म
मार्ग की प्रथम सीढ़ी बताया

धर्म सभा से पूर्व भक्तामर स्तोत्र के पुनार्जन श्री सैष्टि प्रवीण कुमार महावीर कुमार अविनाश प्रियंक वेद सरावगी परिवार द्वारा दीप प्रज्वलित चित्र अनावरण समिति द्वारा तिलक माला पगड़ी पहनाकर स्वागत सम्मान किया गया
मंगलाचरण की प्रस्तुति सुश्री चिया जैन सरावगी के द्वारा किया गया
दिगंबर जैन प्रवक्ता महावीर कुमार सरावगी नैनंवा

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