भेद-विज्ञान की जागरूकता से ही मोह रुपी बंधन टूटता है – आचार्य अतिवीर मुनि

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प्रशममूर्ति आचार्य श्री १०८ शान्तिसागर जी महाराज (छाणी) परम्परा के प्रमुख संत परम पूज्य आचार्य श्री १०८ अतिवीर जी मुनिराज के परम पावन सान्निध्य में अतिशय क्षेत्र लाल मन्दिर में मंगल चातुर्मास के अंतर्गत धर्मप्रभावना व ज्ञानगंगा का निरंतर प्रवाह चल रहा है। इस अवसर पर राजधानी दिल्ली के प्राचीन जिनालय श्री दिगम्बर जैन बड़ा मन्दिर, कूंचा सेठ, चांदनी चौक में नवनिर्मित ह्रीं वेदी में विराजमान भव्य रत्नमयी चौबीसी के आकर्षक भामण्डल दिनांक 30 जुलाई 2023 को विधि विधान पूर्वक स्थापित किए गए।
सर्वप्रथम पूज्य आचार्य श्री के मुखारविंद से मंत्रोच्चार के साथ चौबीस जिनबिम्ब का मंगल अभिषेक व वृहद शान्तिधारा संपन्न हुई। तत्पश्चात उपस्थित जनसमुदाय ने शाश्वत तीर्थ श्री सम्मेद शिखर जी की भाव-वंदना करते हुए 24 अर्घ्य समर्पित किए। धर्मसभा को संबोधित करते हुए आचार्य श्री ने कहा कि प्रत्येक जीव का एकमात्र लक्ष्य केवल आत्मकल्याण होना चाहिए। साधनों से निकलकर जीव को तप-साधना में निरंतर अग्रसित होते हुए कर्मों की निर्जरा करनी चाहिए।
आचार्य श्री ने आगे कहा कि जिनालय सम्यक दर्शन की प्राप्ति हेतु प्रमुख केन्द्र है। जिनदर्शन से निजदर्शन की यात्रा ही मोक्ष मार्ग की ओर अग्रसर करती है। भेद-विज्ञान की जागरूकता से ही मोह रुपी बंधन टूट सकता है तथा परम पद की प्राप्ति संभव हो सकती है। प्रत्येक धार्मिक क्रिया या व्रत-उपवास, पूजन, विधान आदि मोक्ष मार्ग में तभी सहायक होंगे जब जीव सम्यक दर्शन रुपी रथ पर आरूढ़ होगा अन्यथा यह सब केवल पुण्यबन्ध में ही कार्यकारी होंगी।
उल्लेखनीय है कि पूज्य आचार्य श्री के पावन सान्निध्य में श्री दिगम्बर जैन नया मन्दिर, धर्मपुरा में भगवान बाहुबली महामस्तकाभिषेक का मंगल आयोजन रविवार, दिनांक 6 अगस्त को किया जा रहा है जिसमें भारी संख्या में श्रद्धालुजन सम्मिलित होकर धर्मलाभ प्राप्त करेंगे।

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