प्रवचन केसरी श्रमण रत्न 108 विश्रांत सागर जी महाराज द्वारा
नैनवा संवाददाता जैन गजट महावीर सरावगी
8 दिसंबर शुक्रवार को बड़ागांव सिद्धक्षेत्र जिला टीकमगढ़ मध्यप्रदेश
साढे तीन करोड़ मुनियो की मोक्षस्थली पर सिद्धो की धरती पर विराजे है भावी सिद्ध
प.पू. स्मरणीय आचार्य 108 विराग सागर जी महा मुनिराज के पावन परम आशीर्वाद से उन्हीं के सुप्रिय शिष्य प्रवचन केसरी श्रवण रत्न 108 श्री विश्रांत सागर जी महाराज के वरद हस्त कंमलों से सिद्ध क्षेत्र फलहोडी बड़ागांव की पावन धरा पर असंख्या भक्तोको देखते-देखते वैराग्य का ऐसा दृश्य देखा गया असार संसार से मौह का त्याग कर दिगंबर अवस्था के मार्ग पर चलने के लिए सभी वस्त्रो का त्याग कर दियादिगंबर मुनि एक क्षुल्लक बने। मुनिराज द्वारा सूर्य मन्त्रों का उच्चारण देते हुए तीनों दीक्षार्थियों के नाम की घोषणा की गई।
1 मुनि श्री 108 सुयोग सागर
2 मुनि श्री 108 सुमित सागर
3 क्षुल्लक 105 श्री सुभद्र सागर
तीनों मुनि की पहचान इस नाम से जानी जाएगी।
मुनिभक्त प्रियंका जैन ने जैन गजट को बताया समारोह में संपूर्ण राजस्थान युपी एमपी के अनेक भक्तों ने समारोह में पहुंचकर धर्म लाभ प्राप्त किया समिति द्वारा बाहर से पधारे सभी अतिथियों का स्वागत सम्मान तिलक माला पहनाकर किया गया। मुनिश्री ने अपने संबोधन में कहा कि वह जीव बहुत पुण्यशाली होते हैं जो ऐसे दीक्षा समारोह में पहुंचकर वैराग्य की भावना अपनी आंखों से देखते हैं और धर्म का संग्रह करते हैं
सभी बाहर से पधारने वाले भक्तों को मुनि ने अपना आशीष दिया एवं कहा कि धर्म से बढ़कर इस संसार में कोई अन्य वस्तु नहीं है जिनके पास धर्म है वहां पर सभी प्रकार की सामग्रियां अपने आप ही प्राप्त होती है।
महावीर कुमार जैन सरावगी जैन गजट संवाददाता नैनवा जिला बूंदी राजस्थान