इंदौर – व्यक्ति यदि सही ज्ञान रखें व सही समझ से कार्य करें तो सभी समस्याएं सुलझ सकती हैं। अज्ञानी की शरण में अज्ञान और ज्ञानी की शरण में ज्ञान मिलेगा। ज्ञान का सदुपयोग ना हो तब तक ज्ञान अधूरा है। जो अनेकांत को जानते हैं वह किसी भी कार्य का गलत अर्थ नहीं लगाते ।
उक्त विचार इंदौर छत्रपति नगर में चातुर्मासरत संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज की परम शिष्या ,कोकिल कंठी ,आर्यिका रत्न 105 श्री पूर्णमति माताजी ने दलालबाग परिसर में बने भव्य एवं विशाल प्रवचन मंडप में व्यक्त किए ।
पूज्य माता जी ने कहा कि मनुष्य बुद्धि के दुरुपयोग से परेशान हैं ,हमें ध्यान रखना चाहिए मन की खुशी से बड़ी कोई खुशी नहीं होती। भाव की हमेशा निगरानी रखो बेड़ा पार हो जाएगा ।ध्यान रहे अंधेरे में छाया और बुढ़ापे में काया साथ नहीं देती है। मनुष्य जीवन भर क-कमाना,ख- खाना, घ- घूमना( संसार में )में व्यतीत कर देता है। प्रवचन माला से पूर्व जैन समाज के राष्ट्रीय नेता फेडरेशन के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री हसमुख जैन गांधी परिवार ने आर्यिका माता जी को शास्त्र भेंट करने का सौभाग्य भी प्राप्त किया ।
श्री गांधी ने स्वयं के द्वारा संपादित जैन तीर्थ निर्देशिका की प्रति भेंट करते हुए अवगत कराएं निर्देशिका की 90000 प्रतियां छप चुकी हैं शीघ्र ही 100000 प्रतियां प्रकाशित होने वाली है इस अवसर पर दिगंबर जैन सोशल ग्रुप फेडरेशन की मुख पत्रिका युग अस्तित्व बोध के संपादक द्वय राजेंद्र महावीर सनावद ,विपुल बाँझल इंदौर सहित कई समाज सेवी उपस्थित थे।