भारतीय भाषाओं से प्राकृत का अभिन्न संबंध : डॉ. दिलीप धींग

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तिरुमलै (तमिलनाडु)
केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, नई दिल्ली एवं आचार्य श्री अकलंक एजुकेशनल ट्रस्ट, अरिहंतगिरि (तिरुमलै) के संयुक्त तत्वावधान में 20 जून, गुरुवार को इक्कीस दिवसीय राष्ट्रीय प्राकृत शिक्षण कार्यशाला का शुभारंभ प्रणत धींग द्वारा प्राकृत में और निमा जैन द्वारा संस्कृत में मंगलाचरण के साथ हुआ। उद्घाटन समारोह भट्टारक धवलकीर्ति स्वामी की निश्रा में तिरुवण्णामलै जिले में ऐतिहासिक जैन तीर्थ तिरुमलै के निकट अरिहंतगिरि में हुआ। धवलकीर्ति ने बताया कि इस प्रकार की प्राकृत कार्यशाला तमिलनाडु में पहली बार हो रही है। आचार्य समंतभद्र की समाधिभूमि एवं इस पवित्र प्राचीन तीर्थ भूमि पर प्राकृत शिक्षण का विशेष महत्व है।
समारोह के सारस्वत अतिथि अंतरराष्ट्रीय प्राकृत केन्द्र के पूर्व निदेशक डॉ. दिलीप धींग ने कहा कि प्राकृत का संबंध सभी भारतीय भाषाओं के साथ है। तमिल के साथ भी प्राकृत का आगमकालीन संबंध है। प्राकृत भाषा के जैन आगम समवायांग सूत्र, प्रज्ञापना सूत्र आदि इसके साक्षी हैं, जिनमें प्राकृत के 18 प्रकारों में तमिल का उल्लेख भी है। डॉ. धींग ने कहा कि प्राकृत से भारतीय भाषाओं की अंतर्बद्धता को जाना जा सकता है। भाषाई सौहार्द बढ़ाने में प्राकृत का ऐतिहासिक योगदान है। कन्नड़ विश्वविद्यालय, हंपी के प्रो. एसपी पद्मप्रसाद ने कहा कि प्राकृत का कन्नड़ भाषा से भी गहरा संबंध है। किसी समय कर्नाटक में भी प्राकृत जनभाषा रही थी।
विश्व भारती विश्वविद्यालय, शांतिनिकेतन के प्रो. जगतराम भट्टाचार्य ने प्राकृत अध्यापन के अनुभव बताए। डॉ. दीनानाथ शर्मा ने कहा कि वैदिक काल में भी प्राकृत भाषा विद्यमान थी। प्राकृत की अनेक प्रवृत्तियां वेदों में मिलती हैं। संस्कृत विश्वविद्यालय के जयपुर परिसर में जैनविद्या व प्राकृत विभाग के प्रमुख डॉ. कमलेशकुमार जैन ने आचार्य श्री अकलंक एजुकेशनल ट्रस्ट के प्रति विश्वविद्यालय की ओर से आभार जताया। भावी भट्टारक पुष्पकीर्ति ने कहा कि हम प्रतिदिन हमारी आराधना में प्राकृत भाषा का प्रयोग करते हैं।
प्राकृत विकास अधिकारी डॉ. धर्मेन्द्र कुमार जैन ने बताया कि तीन सप्ताह तक चलने वाले इस ज्ञानयज्ञ  में 12 राज्यों से विद्यार्थी आए हैं। उन्हें सात राज्यों के नौ प्राध्यापक प्राकृत सिखा रहे हैं। एम. दीपिका ने संस्कृत भाषा के तत्वार्थ सूत्र पर आधारित नृत्य किया। प्रणत धींग ने डॉ. दिलीप धींग की हिंदी कविता सुनाई। अनुसंधान सहायक डॉ. सतेन्द्रकुमार जैन ने संचालन किया। डॉ. प्रभात कुमार दास ने संस्कृत भाषा में धन्यवाद ज्ञापित किया। शुरू में विश्वविद्यालय कुलगीत और अंत में राष्ट्रगान का सामूहिक संगान हुआ।
– डॉ. धर्मेन्द्र कुमार जैन
प्राकृत विकास अधिकारी
कार्यक्रम का फोटो

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