*_भारतवर्ष की संस्कृति का प्रतिनिधित्व करने वाला हाथी अब हमें गांव,नगर के गली कूचों में प्रत्यक्ष देखने नही मिलेगा…!_*

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✍🏻आलेख..प्रकाशनार्थ
*_भारतवर्ष की संस्कृति का प्रतिनिधित्व करने वाला हाथी अब हमें गांव,नगर के गली कूचों में प्रत्यक्ष देखने नही मिलेगा…!_*
✍🏻 पवनघुवारा भूमिपुत्र
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भारतवर्ष की संस्कृति का प्रतिनिधित्व करने वाला हाथी अब नही दिखेगा गांव नगर के गली कूचों में क्यों कि यह PETA (पीपल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स) नामक संगठन ने  जहां भारतीय कानून का सहारा लेकर हमारे हजारों साल पुरानी संस्कृति पर कुठाराघात करने का कार्य एक वृहद योजना बद्ध तरीके से किया जा रहा है, अभी तक हमारे करोड़ों-करोड़ देश वासियों को साथ ही साथ छोटे छोटे नन्हे मुन्ने बच्चों को गांव-गांव, नगर-नगर गली-कूचों में कस्बों में महात्मा महाती हाथी लेकर आते थे और हम सभी के आराध्य ईश्वर श्री गणेश जी भगवान के दर्शन, आशीर्वाद मिल जाता था और धार्मिक अनुष्ठान के अनुसार हाथी को गन्ना ,केला आदि फल खिलाकर एक आत्म शांति की अनुभूति का अनुभव हो जाता था ,और भारतीय संस्कृति में धार्मिकता के वातावरण का विचरण होता रहता था लेकिन अब यह सब नही हो सकेगा ।
पवनघुवारा ने विचारार्थ कहा है ,मन में एक ही सवाल बार बार आ रहा है कि PETA इस संगठन को बूचड़खाने जा रहे बैलों के प्रति सहानुभूति कभी भी नहीं हुई या उनके साथ नैतिक व्यवहार करने का मन नहीं किया और आज भी बड़े पैमाने पर गाय, बैल और बछड़े, बकरी आदि बेजीजक काटे जा रहे हैं, किंतु इस संगठन को इस वध को रोकने के लिए कभी भी उच्च न्यायालय या सर्वोच्च न्यायालय जाने का मन नहीं हुआ।
क्योंकि जिसतरह से हाल ही में महाराष्ट्र के नादंणीमठ से माधुरी हथिनी को अम्बानी के वंतारा में   PETA संगठन द्वारा ले जाया गया है संज्ञानात्मक यह भी है कि प्रमुख कहा के यह गम्भीरतम सबाल संदेश ही नही है फरमान मान कर चलना चाहिए, कि अब अपने भारत देश में आगे से कहीं-भी कभी-भी हाथीयों का, महाती महात्माओ के साथ प्रत्यक्ष देखने नही मिलेगा,  अपनी आँखों से जगह जगह विचरणकरते हुए नही देखेंगे । जहां पशु कल्याण को धार्मिक महत्व दिया जाता है अब एक जटिल परिस्थितियों में जन मानस है।धार्मिक प्रथाओं और वन्यजीवों की सुरक्षा के बीच संतुलन बनाए रखना महत्वपूर्ण है,
_महादेवी हथिनी की आँखों में आँसू हैं..!!_
नांदनी मठ महाराष्ट्र में एक परिवार के सदस्य की तरह रह रही हथिनी (माधुरी) को अंबानी के वंतारा की शोभा बढ़ाने के लिए मठ से छीना गया। यह अति निंदनीय है।आज लाखों लोगों की आँखों में आँसू की कीमत और अब उस बेजुबान जानवर माधुरी की आँखों में आँसू की कीमत, जहां देश के आचार्य मुनि महाराज संत महात्मा की चारों दिशाओं से आवाज आ रही है माधुरी को एक पूजनीय स्थल पर रखा गया था, जहां उसे धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व के साथ पूजा जाता था। उसके स्थानांतरण से धार्मिक समुदाय के लोगों की भावनाएं आहत हैं।अध्यात्मिक दृष्टिकोण से, माधुरी को एक जीवित प्राणी के रूप में देखा जा सकता है जो अपने आप में एक आत्मा है, और उसका स्थानांतरण उसके आध्यात्मिक संतुलन और शांति को प्रभावित कर सकता है।अध्यात्मिक दृष्टिकोणों में, जानवरों को भी आत्मा के रूप में देखा जाता है और उनके साथ दया और करुणा के साथ व्यवहार करने का महत्व है। सांस्कृतिक दृष्टिकोण -उसके सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व को कम करता है, क्योंकि वह एक पूजनीय स्थल पर रह रही थी। पशु अधिकार दृष्टिकोण – से उसके अधिकारों का हनन हुआ है,और उसे उसके मूल स्थान पर ही रहने देना चाहिए था,धार्मिक स्थल पर ही रखने से धार्मिक भावनाओं का सम्मान ,पशु कल्याण और विशेष धार्मिक अनुष्ठान मूल्यों का संतुलन सम्मान है।
विभिन्न दृष्टिकोणों को समझना और विचार करना आवश्यक है। गोरतलब है कि
हथिनी (माधुरी) को  वंतारा में सुप्रीम कोर्ट के आदेश अनुसार प्रतिपालन में नांदनी मठ से भेजा गया । लेकिन जहां तक सुत्रो से ज्ञात हो रहा है कि वंतारा में हथिनी (माधुरी) खुश नही है ओर जब यह सब स्थिति को वंतारा के प्रशासनिक अधिकारियों के संज्ञान में आया तो उन्होंने तुरन्त ही कोल्हापुर जिले के प्रशासनिक अधिकारियों से सम्पर्क किया और जहां एक वृहद बैठक जिसमें सांसद विधायक सहित वंतारा के प्रमुख भी उपस्थित रहे क्योंकि वंतारा में हथिनी (माधुरी) खुश नही ओर चूंकि स्वास्थ्य भी अनुकूल प्रतीत नही हो रहा है अतः पवनघुवारा भूमिपुत्र ने सभी पक्षकार जनों के साथ शासन प्रशासन से अनुरोध किया है कि वास्तविक परिस्थितियों से भारत सरकार के मंत्री परिषद को पत्र लिखकर अवगत कराया जाना चाहिए, ताकि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश का पालन भी हो ओर यदि वंतारा में हथिनी (माधुरी) खुश नही है तो मानवीय आधार पर पुनः कुछ समयावधि को वापिस नांदनी मठ में रखा जाना वहा भी वंतारा की देखरेख रहे, साथ ही मठ प्रबंधन भी देखता रहे ताकि हथिनी (माधुरी) खुश रहे क्योंकि हथिनी माधुरी महादेवी जिसकी देखभाल नांदनी मठ अपनी बेटी की तरह करता रहा है,ओर स्वास्थ्य रहे यही भावनाओं के मध्य है पशुपालन, पशु रक्षा, पशु सेवाएं भी होती रहे हथिनी माधुरी को वापिस दो वापिस दो…अर्जी हमारी है👏मर्जी तुम्हारी है🫵
लेखन
(✍🏻पवनघुवारा भूमिपुत्र टीकमगढ़)

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