भक्तामर महिमा पर विशेष व्याख्या, सुनने उमड़ रहे हैं दिल्मी N-CR. के भक्त विषय कषायों की भवर से व्याप्त है संसार सागर – भावलिंगी संत

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सोनल जैन की रिपोर्ट -श्री दिगम्बर जैन कृपणानगर जैन मंदिर में प्रतिदिन श्री भक्तामर महिमा पर परमपूज्य भावलिंगी संत श्रमणाचार्य श्री 108 विमरसागर जी महायुनियन के द्वारा विशेष व्याख्यान माला प्रतिदिन 15 से चल रही हैं। परम पूज्य दिगम्बर जैनाचार्य श्री विमर्श साम्बार जी महामुनिराज ने कृमिक धर्मसभा में जिनभक्ति के ग्रहतम विषयों पर प्रकाश डाला।
आचार्य की ने कहा संसारी जीवों की भक्ति का मार्ग कठिन लगता है, धर्म साधना का मार्ग जटिल लगता है, त्याग तपस्या का मार्ग कंटकाकीर्ण (काँटी से भरा हुआ) प्रतीत है। धन्य है वे निग्रंथ वीतरागी भावलिंगी से जो इस पंचमकाल में हीन सहनन होते हुये भी अपनी आत्मा की शक्ति भी. जागृत करक साधना भी मरिन डगर पर ताउम्र चलते हैं। और आणि आने वाले कमजोर मनोबल बाले साधकों के लिये एक साधना का आदर्श प्रस्तुत करके जाते हैं। आधार्य श्री ने नही की
भैवर का उदाहरण प्रस्तुत करते हुये कहा कि जिसप्रकार नदी के बीच कभी मॅवर उत्पन्न होती है और उसमें फंसने वाला जीव मुश्किल से बाहर निकल पाता है उसीप्रभार ये संसारी जीव विषय, कषायों की भवर में अनादि से फंसा हुआ है, इस संसार की भँवर से निकल पाना बहुत दुर्लभ है। इस संसार सागर में जब किसी महान गुरु का सानिध्य प्राप्त होता है और जीव प्रभु भक्ति से जुड़ता है तो. जीवन में भक्ति का ऐसा ज्वार आता है कि वो जीव निर्वाण का स्पर्श कर लेता है,। अनादि से जीव अज्ञानता के कारण परमात्मा के द्वार पर आकरभी अभिमान और अहंकार के कारण सागर भार की प्राप्त होता है कि निगोद तक चला जाता है। में ऐसे भक्तामर महिमा में आज की धर्मसभा का पुण्यात्मा आवक मेष्ठी बनने का सोभाग्य संजय जी जैन नीतू जैन एम. एस फैशन कृष्णानगर को प्राप्त हुआ।

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