भक्त वह है – जो भोला हो और भक्त वह है – जो भावों से भरा हो।आचार्य श्री 108 प्रसन्न सागर जी महाराज

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औरंगाबाद  उदगाव नरेंद्र /पियूष जैन भारत गौरव साधना महोदधि    सिंहनिष्कड़ित व्रत कर्ता अन्तर्मना आचार्य श्री 108 प्रसन्न सागर जी महाराज एवं सौम्यमूर्ति उपाध्याय 108 श्री पीयूष सागर जी महाराज ससंघ का महाराष्ट्र के ऊदगाव मे 2023 का ऐतिहासिक चौमासा   चल रहा.       भगवान पार्श्वनाथ के मोक्ष कल्याणक में बोल रहे थे। इस दौरान कृत्रिम रचना कर सम्मेद शिखरजी उत्साहपूर्ण माहौल में मनाया गया। सम्मेद शिखरजी विधान कर पार्श्वनाथ भगवान का 23 किलो का लड्डू औरंगाबाद के मनोज फूलचंद दगङा दृरा चढ़ाया गया। ईस अवसर पर नरेंद्र अजमेरा,नितेश पाटणी इचलकरंजी,बिटटु जैन भोपाल,मनिष जैन भिंड,आकाश जैन पुष्पगिरी,सोनकच,कैलास सेठी धुलियान,सुशिल पाटील उदगांव,संजय पाटील,मुकेश पाटणी,शैलेंद्र पहाडिया,सुनिल जैन,दिगंबर ऊपथीत थे इस दौरान  भक्त को  प्रवचन  कहाँ की
प्रभु भक्ति और गुरू सेवा बहुत रहस्यमय है..
पता नहीं चलता कि मिल रहा है, कि जमा हो रहा है-?
ध्यान रखना- प्रभु भक्ति और गुरू सेवा से भक्त की आवश्यकताओं की पूर्ति तो हो जाती है लेकिन इच्छाओं की पूर्ति कभी नहीं होती। इच्छाओं की पूर्ति के लिए भक्त या इन्सान ज़िन्दगी भर भटकता फिरता रहता है। मन की अशांति ना बैठने देती, और ना कहीं टिकने।
आवश्यकता कभी किसी की अधूरी नहीं रहती और इच्छा कभी किसी की पूरी नहीं होती।इसलिए आचार्यों ने कहा- इच्छाओं पर संयम का ब्रेक लगाओ। इच्छा ही दुःख की जन्म दात्री है, क्योंकि एक इच्छा ही दुःख है।
आपने सुना होगा- जब कोई कार्य हो जाये तो भक्त कहता है – प्रभु कृपा और गुरू आशीष है,
और जब कार्य नहीं होता तो फिर कहता है – प्रभु की इच्छा ऐसी ही थी। भक्त वह है – जो प्रभु और गुरू पर भरोसा करता हो। भक्त वह है – जो भोला हो और भक्त वह है – जो भावों से भरा हो। तीनों का संगम ही भक्त को जन्म देता है। अन्यथा जिस भक्त के पास भरोसा, भोलापन और भावना नहीं हो, तो वह भक्त नहीं कमबख्त है…!!! नरेंद्र अजमेरा पियुष कासलीवाल औरंगाबाद

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