क्या कभी अपने भगवान को देखा है? क्या कभी उससे साक्षात्कार हुआ है? क्या कभी आपने उस शक्ति को महसूस किया है? इन सब प्रश्नों के उत्तर खोजने व जानने के लिए आपको दिगंबर संतो की चर्या का अवलोकन करना होगा व उनके सानिध्य एवं मार्गदर्शन में समय बिताना होगा ।
वर्तमान में यदि भगवान के दर्शन करने हैं तो दिगंबर संतो के दर्शन करके वह इच्छा आपकी पूर्ण हो सकती है जून की तपती दुपहरी हो या दिसंबर की कडकड़ाती ठंड वर्षभर समरूप रहने वाले अनेकों परीषहों को सहते हुए, संयम पथ पर आरुण हो मोक्ष मार्ग की ओर उन्मुख रहने वाले दिगंबर संत वर्तमान युग के सेवन वंडर्स से कम नहीं है। इनकी चर्या को देखकर जैनेत्तर लोग दांतों तले उंगली दबाने लगते है।
नाना प्रकार की सुख सुविधाओं व भोग विलासिता से परिपूर्ण संसार मे जहां सभी विलासिता का जीवन जीने की कामना लिए हुए इस संसार चक्र में फंसे हुए हैं और उसी को सर्व सुख मान रहे हैं। वही दिगंबर संत वैराग्य भावना धारण कर संसार से विमुख होकर अपनी उत्कृष्ट साधना की ओर अग्रसर है। शने शने जहां सहनन शक्ति कमजोर होती जा रही है वहीं दिगंबर संतो की आत्मिक शक्ति कई गुना अधिक मजबूत दृष्टिगोचर होती है।
तुलनात्मक अध्ययन तो नहीं किया जा सकता किंतु विचारणीय बिंदु अवश्य है की भूतकाल की बात करें तो इतनी सुख सुविधा जो वर्तमान में उपलब्ध है शायद नहीं थी? इतनी भटकाव की सामग्री एवं भोग विलासिता की सरलता व सहजता यू कहे की मन मस्तिष्क को विचलित करने के साधन कमजोर थे तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। वर्तमान युग में सोशल मीडिया पर प्रचारित सामग्री ने सब कुछ नष्ट- भ्रष्ट कर दिया है। ऐसी विषम व विपरीत परिस्थितियों में भी स्वयं को विचलित न होने देना मन और इंद्रियों पर पूर्ण नियंत्रण बनाए रखते हुए सब के बीच स्वयं को वैरागी रखना बड़ा ही दुर्लभतम कार्य है जो दिगंबर संतो के द्वारा बड़ी सरलता के साथ किया जाता है। आओ वंदन करें और कुछ समय संत सानिध्य में गुजारे। जय जिनेंद्र
*राष्ट्रीय सांस्कृतिक मंत्री जैन पत्रकार महासंघ*