*गौरेला*। *वेद चन्द जैन*।
भगवान महावीर के पंचशील सिद्धान्त में संसार की समस्याओं का समाधान है।इन सिध्दांतों को साम्प्रदायिक सीमा में न बांधकर समग्रता से पालन हो तो संसार सुख समृद्धि और शांति से सहिष्णुता पूर्वक जीवन जिया जा सकता है।
निर्यापक श्रमण श्री सुधासागर महाराज ने मध्यप्रदेश के दमोह में जिज्ञासाओं समाधान करते हुए बताया कि परम् विद्वान भूतपूर्व राष्ट्रपति श्री शंकर दयाल शर्मा ने कहा था कि भगवान महादेव उपदेशों से जीवन कैसे जियेंं,इस कला का ज्ञान मिलता है।मेरे मत के अनुसार संसार को भगवान महावीर के संदेशों का पालन करना चाहिए ।भेदभाव मिटाकर समस्त संसार शांति और सह अस्तित्व से जीवन जी सकते हैं। भगवान महावीर के सिद्धांत संपूर्ण विश्व के लिये एकमात्र समाधान हैं। इन्हें एक संप्रदाय के साथ जोड़कर नहीं देखना चाहिए।
महाराज जी ने बताया कि भगवान महावीर वीतरागता के पथ पर चलते हुए मोक्षगमन किया, मगर उनके सिध्दांत उनके उपदेश जीवन जीने की कला सिखाते हैं। साधना उन्होंने अपने आत्म कल्याण के लिये की और ज्ञान देकर संसार को सद्भावना पूर्वक जीवन जीना सिखाया । जियो और जीने दो सूत्र प्राणी मात्र के स्वतंत्रता से जीवन जीने के अधिकार का आधार है।
मुनिपुंगव श्री सुधासागर महाराज ने बताया कि भगवान महावीर के पंचशील सिद्धान्त समस्त प्राणियों कि हित के लिए हैं। उनके सिद्धांतों को सांप्रदायिक सीमा से बाहर आकर संसार के प्राणियों के जीने के मार्गदर्शक के रूप में देखने से समस्त जगत के लिए लाभ दायक हैं। जियो और जीने दो का संदेश प्राणियों के स्वतंत्रता पूर्वक परस्पर शांति और सह अस्तित्व का मार्ग प्रशस्त होता है।
*वेदचन्द जैन, गौरेला*