*भगवान महावीर ने अहिंसा परमोधर्म, जिओ जीने दो सिद्धान्त से विश्व की परिचित कराया*
*थाल सजाओ प्रतियोगिता में संजना जैन प्रथम ,सीमा द्वितीय, विशाखा रही तृतीय*
भगवान महावीर ने सम्पूर्ण विश्व को अहिंसा परमोधर्म का सिद्धान्त दिया जिसकी वर्तमान में महती आवश्यकता है। जिओ और जीने दो,पंच महाव्रत,स्वादवाद,अनेकान्त वाद जैसे महत्वपूर्ण व जीवन उपयोगी सिद्धान्तों से परिचित करा विश्व समुदाय पर उपकार किया है उक्त उदगार जैन धर्म के अंतिम व चौबीसवें तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी के 2550 वें निर्वाणोत्सव पर आयोजित कामां के शांतिनाथ दिगम्बर जैन दिवान मन्दिर में 2550 दीपकों से महाआरती के आयोजन में वक्ताओं ने व्यक्त किये।
धर्म जागृति संस्थान के अध्यक्ष संजय सर्राफ के अनुसार सम्पूर्ण भारतवर्ष की जैन समाज द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर भगवान महावीर स्वामी का 2550 वां निर्वाणोत्सव हर्षोल्लास के साथ आयोजित किया गया। उसी श्रृंखला में कामां में धर्म जागृति संस्थान व ज्ञान विजया महिला मंडल द्वारा सँयुक्त रूप से शांतिनाथ जिनालय में 2550 दीपकों से महाआरती कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ भगवान महावीर के चित्र के समक्ष दीप प्रज्जवलन व खुशी जैन द्वारा मंगलाचरण कर किया गया। इस अवसर भक्तामर पाठ की अर्चना कर विश्व शांति की कामना की गई तो वहीं कार्यक्रम का संचालन करते हुए धर्म जागृति संस्थान के राष्ट्रीय प्रचार मंत्री संजय जैन बड़जात्या ने कहा कि अन्य समुदायों द्वारा यह समझा जाता है कि जैन धर्म का प्रादुर्भाव भगवान महावीर से हुआ, जबकि भगवान महावीर जैन धर्म के 24 वें एवं अंतिम तीर्थंकर थे प्रथम तीर्थंकर थे तो भगवान ऋषभदेव थे। वर्तमान में विश्व युद्ध की विभीषिका में जल रहा है वहाँ भगवान महावीर का अहिंसा सिद्धान्त प्रासंगिक है। इस अवसर पर मनीषा जैन, शकुंतला जैन पुष्पा जैन ने भजन प्रस्तुत किये तो वही रिंकू जैन बड़जात्या ने महावीर भगवान का गुणानुवाद करते हुए कहा कि भगवान की कथा का श्रवण करना भी बड़े पुण्य का कार्य है। कार्यक्रम के अंत में भगवान महावीर स्वामी की 2550 दीपकों से जैन समाज की महिलाओं, पुरुषों व बच्चों ने महा आरती की।
*गिरनार बचाओ रंगोली ने किया आकर्षित*:- भगवान महावीर के 2550 वें निर्वाणोत्सव के साथ गिरनार बचाओ की रंगोली प्रेक्षा,छवि,लवी,करीना द्वारा बनाई गई जिसे सभी के द्वारा सराहा गया।वर्तमान में जैन समाज 22 वें तीर्थंकर नेमिनाथ भगवान की निर्वाण भूमि गिरनार को लेकर आंदोलित है जहां जैन श्रावकों की निर्विध्न पूजन,अभिषेक,दर्शन की मांग राष्ट्रीय स्तर पर की जा रही है।मन्दिर प्रांगण में गिरनार हमारा है प्राणों से प्यारा है नारा गुंजायमान हुआ। सम्पूर्ण मन्दिर को दीपकों से सजाया गया वही वेदियों पर ॐ,स्वास्तिक, ह्री भी दीपकों से बनाये गये।
*दीप संग थाल सजाओ प्रतियोगिता* ज्ञान विजया महिला मंडल की अध्यक्ष इंद्रा जैन बड़जात्या ने बताया कि इस अवसर पर दीप संग थाल सजाओ प्रतियोगिता का आयोजन किया गया जिसमें जैन समाज की महिलाओं ने बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया। निर्णायक मंडल राजेन्द्र जैन,प्रदीप बड़जात्या, राजेश कानूनगो ने संजना जैन बड़जात्या को प्रथम,सीमा जैन को द्वितीय,विशाखा लुहाड़िया को तृतीत घोषित किया तो धर्म जागृति संस्थान कामां द्वारा पुरुस्कृत किया गया।
संजय जैन बड़जात्या, सवांददाता जैन गजट