भगवान महावीर के 2552 वें निर्वाणोत्सव पर जैन मंदिरों में चढ़ाया निर्वाण लाडू

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भगवान महावीर के 2552 वें निर्वाणोत्सव पर जैन मंदिरों में चढ़ाया निर्वाण लाडू
(कामां) जैन धर्म के वर्तमान शासन नायक,अंतिम व 24 वें तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी के 2552 वें निर्वाण कल्याणक पर जैन मंदिरों में निर्वाण लाडू समर्पित कर मोक्ष पद की कामना जैन धर्मावलंबियों द्वारा की गई। इस अवसर पर सभी ने एक दूसरे को मोक्ष रूपी लक्ष्मी वरण कर जीवन के अंतिम लक्ष्य मोक्ष प्राप्ति की शुभकामनाएं भी प्रेषित की गई।
शान्तिनाथ दिगम्बर जैन मंदिर में प्रातः अभिषेक,शांतिधारा व निर्वाण कांड का पाठ कर निर्वाण लाडू प्रदीप जैन व रिंकू जैन के निर्देशन में चढ़ाया गया।इस अवसर पर मन्दिर महामंत्री संजय जैन बड़जात्या ने बताया कि कार्तिक मास की अमावस्या को प्रातः भगवान महावीर स्वामी को निर्वाण अर्थात मोक्ष पद की प्राप्ति 527 वर्ष ई. पूर्व पावापुरी के पदम सरोवर से हुई जिसके स्मरणार्थ व अज्ञानता के निवारण हेतु प्रतिवर्ष जैन मंदिरों में निर्वाण लाडू समर्पित कर निर्वाण पद प्राप्ति की भावना भाई जाती है।
सकल जैन समाज के अध्यक्ष अनिल जैन ने बताया कि इस अवसर पर चन्द्रप्रभु दिगम्बर जैन मंदिर से जुलूस के रूप में पहुंच कर चारो स्थानीय मंदिरों में जैन श्रावक व श्राविकाओं द्वारा निर्वाण लाडू चढ़ाया गया। इस अवसर पर विश्व शांति की कामना भी की गई। रात्रि को महावीर स्वामी के प्रथम गणधर इंद्रभूति गौतम स्वामी के कैवल्य ज्ञान की प्राप्ति पर दीपकों से मंदिरों में सजावट की गई। लाडू का महत्व बताते हुए संजय जैन सर्राफ ने कहा कि लाडू जिसका कोई ओर छोर नही है उसी प्रकार आत्मा का भी कोई ओर छोर नही है इसलिए लाडू को आत्मा का प्रतीक मानकर चढ़ाया जाता है। इस अवसर पर जैन समाज कामां के स्त्री पुरुष युवा उपस्थित रहे।

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