नैनवा 24 अगस्त शनिवार जैन मुनि श्रुतेशसागर जी महाराज ने शांति वीर धर्म स्थल पर धर्म सभा में बताया की उत्तम स्वास्थ्य होने पर ही धर्म की क्रिया संपन्न होगी भगवान के दर्शन करने मात्र से पापों का नाश होता है
मंदिर में तिलक लगाने पर मुनि ने बताया कि सभी प्रकार के शुभ संकेत शुभ लक्षण जिनालयों के तिलक से जाने जाते हैं भगवान के दर्शन की पहली पहचानी तिलक है इसके लगाने से मन को शांति होती है गलत विचार धारणाएं उत्पन्न नहीं होती माताएं अपने पुत्र को देश की रक्षा के लिए पहले तिलक लगाकर विदा करती है अपने घर के जमाई वह बेटी को विदा करने पर पहले तिलक लगाकर उन्हें विदाई दी जाती है मंदिर का तिलक मन के गलत परिणाम को छोड़कर धर्म के परिणाम उत्पन्न करता है दुख व समस्या को त्यागने पर मनुष्य सुखी रहेगा
मुनि ने चिंता नहीं चिंतन करना चाहिए चिंता करने से सुंदरता कम होती है कसाई बढ़ती है आत्मा में कसाई कसती है
मुनि ने भी बताया कि कसाई शराबी गुस्से वाला व्यक्ति के कारण कहीं परिवार बर्बाद हो गए सदैव इनसे दूर रहने का संबोधन मुनि ने बताया
वर्तमान की सोच अच्छी रखो
जैन मुनि सविज्ञसागर महाराज आचार्य सुनील सागर महाराज के परम शिष्य की तप साधना आज पांचवा उपवास में मुनि ने बताया
आज मनुष्य बीती हुई बातों को याद करता है बीती हुई बातें और आगे की बातों से याद करने से कोई फायदा होने वाला नहीं है
वर्तमान में जीना चाहिए वर्तमान में परिणाम अच्छे रखना चाहिए मन के भाव निर्मल होते हैं आजका मनुष्य
धर्म की क्रियाओं में बहुत आलसी हो गया है धर्म तो करना ही नहीं चाहता और सुख चाहता है
वर्तमान अच्छा होने पर ही आगे भी अच्छा होगा अगर वर्तमान अच्छा नहीं है तो आगे की क्रियाएं भी अच्छी ना होगी
आज भक्तामर के पुनार्जक पारस कुमार जैन नितेश शैलेंद्र रोहित जैन बरमूडा परिवार द्वारा दीप प्रज्वलित चित्र अनावरण मुनि के पाद पक्षालन
मंगलाचरण की प्रस्तुति श्रीमती हेमलता जैन बरमुंडा द्वारा दी गई
दिगंबर जैन समाज प्रवक्ता महावीर सरावगी